KTU में लागू किए जाएंगे राष्ट्रीय शिक्षा नीति, जानें क्या है इसके फायदे
National Education Policy in KTU: कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में अगले सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए प्रस्ताव बनाया जा रहा है, जिसे कार्यपरिषद और विद्यापरिषद में रखा जाएगा। साथ ही नए सत्र से मल्टी एग्जिट और एंट्री का सिस्टम भी लागू हो सकता है। इसके अंतर्गत यूजी और पीजी के ऐसे छात्र जो किसी कारणवश बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, वे दोबारा कोर्स पूरा कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अवसर दिए जाएंगे।
अधिकारियों ने बताया कि एनईपी लागू करने के लिए आवश्यक तैयारी पूरी कर ली गई है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले सत्र से यहां पर एनईपी लागू कर दी जाएगी। एनईपी के अंतर्गत बहुत सारे पाठ्यक्रमों में भी बदलाव किए जाएंगे। इसकी भी तैयारी की जा रही है। छात्रों को स्किल बेस्ड और रोजगारपरक शिक्षा की रणनीति बनाई जा रही है। विश्वविद्यालय में पढ़ाई करके निकलने के बाद छात्रों को रोजगार के लिए भटकना न पड़े।
नियमित शिक्षकों की होगी भर्ती
पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभागों में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं। यहां पर कुछ ही नियमित शिक्षक हैं। बहुत सारे कोर्स सिर्फ अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि खाली पदों को भरने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। इससे पहले भी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने खाली पदों में भर्ती के लिए अनुमति मांगी थी। खाली पदों का प्रस्ताव भी बनाकर भेजा जा चुका है। शासन से अनुमति मिलने के बाद ही भर्ती हो सकेगी।
आठ कालेजों में लागू हो चुका है एनईपी
प्रदेश के आठ आटोनामस कालेजों में एनईपी के अनुसार पढ़ाई हो रही है। विशेषज्ञों ने बताया कि एनईपी के अंतर्गत ग्रेजुएशन में एक वर्ष के बाद किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ने छात्रों को सर्टिफिकेट, दो साल पढ़ाई करने पर डिप्लोमा मिलेगा। तीसरे साल में डिग्री मिलेगी। अधूरा कोर्स पूरा करने के लिए भी छात्रों को अवसर दिया जाएगा। नियमित छात्र के रूप में वो फिर से प्रवेश ले सकेंगे। यह कोर्स उन्हें छह साल में पूरा करना होगा। इसी तरह के एनईपी में कई अन्य तरह के प्रावधान भी हैं, जिसका छात्रों को फायदा मिलेगा।
स्किल और राेजगारपरक शिक्षा पर जोर
राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति पर परंपरागत पढ़ाई की जगह स्किल और रोजगारपरक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रैक्टिकली शिक्षा भी दी जाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत बहुत सारी कक्षाओं का पाठ्यक्रम भी बदला जा रहा है। छात्रों को स्किल बेस्ड बनाने के लिए कोर्स में बदलाव किए गए है। परंपरागत कोर्स के साथ बहुत सारे सप्लीमेंट्री कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। जिन्हें तीन से छह महीने करके छात्र अपनी स्किल को निखार सकेंगे।