National Sports Day 2024: छत्तीसगढ़ की दो बेटियों ने टीम इंडिया में बनाई जगह, बोली- अब खेलना है देश के लिए..
मन में दृढ़ ईच्छा शक्ति और अपने लक्ष्य को पाने के जूनन और लगन हो तो किसी बड़े प्लेटफार्म की जरूरत नहीं होती। इसे शहर के गुरुनानक स्कूल में पढ़ने वाली शहर की बेटी अनिशा साहू ने सच कर दिखाया है। वह राजनांदगांव की पहली हॉकी खिलाड़ी है, जिसने बिना राष्ट्रीय कोच या हास्टल प्रशिक्षण के राष्ट्रीय हॉकी टीम में चयन होने में सफलता पाई है। वह अभी 12वीं की छात्रा है और उनके गुरु हॉकी कोच अनुराज श्रीवास्तव हैं, जिन्होंने उन्हें तराश कर उस मुकाम तक पहुंचाया है।
बता दें कि अनिशा फिलहाल जूनियर एशिया कप के लिए बैंगलोर में चल रहे कैंप का हिस्सा है। जूनियर एशिया कप 2025 में होना है। कोच अनुराज बताते हैं कि अनिशा 12 साल की उम्र से हॉकी खेल रही है। उसने राजनांदगांव से सीधे इंडिया टीम के लिए चयनित होकर बड़े शहर या एकेडमी में रहकर ही चुने जाने की मिथ्या को तोड़ दी है।
दूसरी बेटी ने भी बढ़ाया हॉकी की नर्सरी का मान
बसंतपुर में ही रहने वाली भूमिक्षा साहू ने भी हॉकी की नर्सरी का मान बढ़ाया है। वह भी बचपन से हॉकी खेलते हुए हॉकी एकडेमी ग्वालियर में चयनित हुई और जूनियर हॉकी इंडिया टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। इसके अलावा जर्मनी, नीदरलैंड व बेल्जियम में नेशनल स्पर्धा खेल चुकी है। भूमिक्षा को जूनियर नेशनल में गोल्ड, खेलो इंडिया नेशनल व एकेडमी नेशनल में सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ है।
भूमिक्षा फॉरवर्ड लाइन से खेलती है, उन्हें रेलवे से नौकरी का भी ऑफर आया है। फिलहाल उसने ज्वाइन नहीं की है। पिता खैरागढ़ रजिस्ट्रार कार्यालय में प्यून हैं। माता हाऊस वाइफ हैं। बहन भी हॉकी नेशनल प्लेयर है। भूमिक्षा पढ़ाई में अव्वल है। भूमिक्षा और अनिशा को खेलो इंडिया की ओर से 10-10 हजार रुपए महीना मिलता है। जबकि भूमिक्षा को फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) की ओर 20 हजार रुपए महीना भी मिलता है।
मजदूर मां की बेटी ने किया गौरवान्वित
अनिशा शहर के बसंतपुर में रहती है। वह बहुत ही गरीब परिवार से आतीं हैं। पिताजी का हाल ही में देहांत हो गया है और माता मजदूरी करती हैं। अनिशा जूनियर इंडिया हॉकी टीम से नीदरलैंड में खेल चुकी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बसंतपुर के सरकारी स्कूल में हुई फिलहाल वह गुरुनानक स्कूल में 12वीं की छात्रा है।