Navratri 2024: माता के कन्यास्वरूप की पूजा होती है यहां
Navratri 2024: दक्षिणी छोर पर तमिलनाडु के कन्याकुमारी केप पर स्थित है देवी कन्याकुमारी का मंदिर। देवी को यहां कुमारी अम्मन के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि देवी सती की रीढ़ की हड्डी यहीं गिरी थी। यहां भगवती देवी की पूजा की जाती है, जिन्हें दुनियाभर में कन्या देवी, कन्या कुमारी, और भद्रकाली के नामों से जाना जाता है।
मजबूत पत्थर की दीवारों से घिरे मंदिर का इतिहास 3000 साल से भी पुराना है। मंदिर परिसर में अन्य मंदिर भी हैं जो भगवान सूर्य देव, भगवान गणेश, भगवान अयप्पा, देवी बाला सुंदरी और देवी विजया सुंदरी को समर्पित हैं। मुख्य प्रवेश उत्तरी द्वार से होता है। पूर्वी द्वार ज्यादातर बंद रहता है और केवल विशेष अवसरों पर ही खुलता है।
भगवान परशुराम ने स्थापित की थी मूर्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां भगवान परशुराम ने देवी कन्या कुमारी की मूर्ति स्थापित की थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में पांड्या सम्राटों द्वारा किया गया था।
किंवदंती के अनुसार, राक्षस बाणासुर ने एक बार सभी देवताओं को कैद कर लिया था। वरदान के अनुसार बाणासुर को उसे एक कुंवारी कन्या ही मार सकती थी। इसलिए देवताओं ने मां भगवती से प्रार्थना की तो देवी ने कुंवारी कन्या का रूप धारण कर लिया। इस बीच कन्यारूपी भगवती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए उनकी तपस्या शुरू कर दी। नारदजी को डर सताने लगा कि यह विवाह हुआ तो बाणासुर का वध असंभव हो जाएगा। इसके बाद देवताओं ने ऐसी चाल चली कि उन्हें बाणासुर का अंत करना पड़ा। तभी से देवी को कन्याकुमारी कहा जाने लगा।
नारदजी और भगवान परशुराम ने देवी से कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर रहने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसलिए परशुराम ने समुद्र के किनारे इस मंदिर का निर्माण किया और देवी कन्याकुमारी की मूर्ति स्थापित की।
मंदिर का रहस्य
यहां माता की मूर्ति काले पत्थर की बनी है। मंदिर के अंदर 11 तीर्थ स्थल हैं। अंदर के परिसर में तीन गर्भ गृह गलियारे और मुख्य नवरात्रि मंडप है. लेकिन इन सभी को समझ पाना या ध्यान से देख पाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि मंदिर के अंदर की बनावट भूल भुलैया जैसी लगती है। परिसर में मूल-गंगातीर्थम नामक एक कुआं है।
यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी अद्भुत
मंदिर की विशेषता इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी है, क्योंकि यहां तीन समुद्रों का संगम है, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में हिंद महासागर और पश्चिम में अरब सागर। इस संगम के कारण यह स्थान एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी है। यहां पर कन्या कुमारी मंदिर के साथ विवेकानंद स्मारक भी है।