अब टीचर ही काउंसलर बनेंगे, बाल श्रमिकों का मर्म भी जानेंगे.. : अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा

सरिता दुबे. राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा कई सालों से महिलाओं और बच्चों के अधिकारों, सुरक्षा और सरंक्षण के लिए कार्य कर रहीं हैं। उन्होंने बच्चों के अधिकार, सुरक्षा और सरंक्षण के लिए कई योजनाएं बनाई हैं और अब वे आयोग के जरिए उन्हें किस तरह पूरे प्रदेश में लागू कराएंगी, इस पर उन्होंने पत्रिका कार्यालय में चर्चा कर अपनी प्राथमिकताएं बताईं।

सवाल: बाल संरक्षण आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकताएं क्या हैं?

जवाब: बच्चों को दुलार दें, शिक्षा का अधिकार दें… हम इसी के अनुरूप कार्य करेंगे। अब हर व्यक्ति सिपाही की भूमिका में नजर आएगा। सूचना तंत्र और वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से हम इसे मॉनीटर करेंगे। इसके लिए कार्यशाला करके लोगों का सहयोग लेंगे। उन्हें जागरूक करेंगे कि हर बच्चे को स्कूल भेजे।

सवाल: बच्चे अभी भी मजदूरी करते दिखते हैं, आपका क्या एक्शन होगा?

जवाब: हम एक्शन और इनोवेशन के साथ काम करेंगे। कागजी कार्यवाही के साथ ही जरूरत और अधिकार से संबंधित कार्य करेंगे। मजदूरी कर रहे बच्चों के मर्म को समझकर यह पता लगाएंगे कि वे बाल मजदूर क्यों बने? उनकी उस समस्या को दूर करने के लिए कलेक्ट्रेट में मार्गदर्शन खिड़की के जरिए उनके मां- बाप के लिए रोजगार की व्यवस्था कराएंगे।

सवाल: शिक्षा का अधिकार ( RTE) कानून को लेकर अभी भी चुनौतियां हैं?

जवाब: जी, हमने भी यह महसूस किया है। इसके लिए आरटीई की प्रोसेस को आसान बनाने के साथ ही इसमें पर्याप्त समय देने की भी अनुशंसा की है।संबंधित विभाग को निर्दशित भी किया है कि जरूरतमंद बच्चे को उसकी हक की सीट मिले। उन्हें स्कूल में भी अच्छा माहौल मिले, इसके लिए भी योजना बना रहे हैं।

सवाल: नक्सल क्षेत्रों में बच्चों से जुडी समस्याएं हैं। बचपन खौफ में सिमटा है। क्या आयोग कुछ करेगा?

जवाब: मैंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सालों कार्य किया है। बहुत करीब से उन बच्चों की समस्याओं को महसूस किया है। इसके लिए हम इनोवेशन मोड पर काम करेंगे। उन्हें खौफ से निकालने के लिए आम लोगों का सहारा लेंगे और सभी की जिम्मेदारी सुनिश्चित करेंगे।

सवाल: सोशल मीडिया ही बच्चों की दुनिया बन गई है, उन्हें कैसे निकालेंगी?

जवाब: हमें स्कूल में ही काउंसलर तय करने होंगे। हमारी कोशिश रहेगी कि शिक्षक ही काउंसलर बनकर उनके मनोभावों को समझें और उन्हें दिशा दिखाएं।

सवाल: आयोग के पास बच्चों से जुड़ी शिकायतें सुनने के लिए कोई सीधा तंत्र है?

जवाब: अभी ऐसी व्यवस्था तो नहीं है, लेकिन महिला बाल विकास द्वारा टोल फ्री नंबर चलाया जाता है। हमारी कोशिश रहेगी की इन टोल फ्री नंबर पर आई शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही हो। साथ ही सभी जिलों के कलेक्टर्स और एसपी से भी कहा गया है हर तीन माह में एक हफ्ते तक पुलिस और महिला बाल विकास की टीम बाल मजदूरी रोकने के लिए रेस्क्यू कार्रवाई करे।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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