नारी शक्ति: महिलाओं की जिंदगी संवारने के प्रयास में लगी हैं नूपुर
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले चीड़ के पेड़ को जंगल में आग लगने का एक प्रमुख कारण माना जाता है। हालांकि, इसी चीड़ के पेड़ का पिरूल यानी पाइन नीडल अब उत्तराखंड के चंपारण में खेतिकान और आसपास के ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के लिए स्वरोजगार का साधन बन, उनकी जिंदगी संवार रहा है। यह संभव हुआ है वेटरनरी डॉक्टर नूपुर पोहर्कर के प्रयासों से, जिन्होंने ‘यूथ फॉर इंडिया प्रोग्राम फेलोशिप’ पूरी करने के बाद स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर हैंडीक्राफ्ट आइट्म्स बनाने की शुरुआत की। फेलोशिप के दौरान नूपुर ने देखा कि यहां के लोग रोजगार की तलाश में बाहर जाते हैं। साथ ही, जंगल की आग से उनकी फसलों, चारे और घरों को भी नुकसान होता है।
बहन का मिला साथ
अपनी फैशन डिजाइनर बहर शर्वरी के साथ मिलकर वह 100 से अधिक महिलाओं को रोजगार दे रही हैं और इन महिलाओं को 5 से 7 हजार रुपए की आमदनी हो रही है। नूपुर का कहना है कि महिलाएं पिरूल की पत्तियों को एकत्र कर और उन्हें प्रोसेस कर कई खूबसूरत प्रोडक्ट्स जैसे चाय कोस्टर, स्टोरेज बॉक्स, सर्विंग ट्रे, टेबल मैट्स और प्लांटर्स आदि बनाती हैं। इस प्रक्रिया में प्रति माह तकरीबन 2000 किलोग्राम पाइन की पत्तियां हटाई जाती हैं। महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जाता है।
नूपुर के मुताबिक स्थानीय महिलाओं द्वारा बनाए गए इस हैंडमेड प्रोडक्ट्स की डिमांड दिल्ली, बेंगलूरु, हैदराबाद से लेकर अमरीका तक है। वह कहती हैं कि उन्होंने जिन क्षेत्रों में पाइन नीडल एकत्र किए हैं, वहां अब तक कोई भी जंगल की आग की घटना नहीं हुई है। यह पहल एक बड़े मुद्दे के समाधान की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्त्वपूर्ण कदम है और इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है, जिससे जंगल की आग की घटनाओं को कम किया जा सकेगा।