महादेव की एक पु​त्री सिर्फ गरियाबंद में आएंगी नजर, मां पार्वती के साथ हैं विराजमान, जानें मंदिर की कहानी

महादेव के 2 पुत्र हैं, सब जानते हैं। एक पुत्री भी हैं, यह कम लोगों को ही पता है। नाम है अशोक सुंदरी। गरियाबंद में शिवजी अपनी इस पुत्री के साथ विराजमान हैं। पास में मां पार्वती, कार्तिकेय और श्रीगणेश भी हैं। ऐसे में महादेव को यहां उनके पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है। संभवत: पूरे रायपुर संभाग में ऐसा मंदिर कहीं और नहीं होगा। महाशिवरात्रि पर पढ़िए यह खास रिपोर्ट…

1919 के आसपास छुरा राज परिवार की एक शाखा गरियाबंद में बसी। रहने के लिए गांधी मैदान के करीब विशाल बंगला बनवाया। वजह जो भी हो, लेकिन समय के साथ इसे ‘महल’ और ‘राजा का ढाबा’ नाम से भी पहचाना गया। इस बिल्डिंग की लेट साइड में एक शिवालय है। इसके गर्भगृह में बीचोबीच शिवलिंग है। ठीक पीछे मां पार्वती अपनी पुत्री अशोक सुंदरी के साथ विराजमान हैं। इनके हाथों में शिवजी को अतिप्रिय बेल फल दर्शाया गया है। मूर्ति के नीचे एक पट्टी है। इसमें एक ओर शिवजी की सवारी नंदी है।

जबकि दूसरी ओर आदिशक्ति मां पार्वती की सवारी शेर है। इन्हीं दोनों के बीच श्रीगणेश और कार्तिकेय पिंड के रूप में विराजमान हैं। विग्रह को जिस करीने से तराशा गया है, उसकी खूबसूरती आज 106 साल बाद भी देखते बनती है। इसे ऐसे समझिए कि मूर्ति में नैन-नक्श और बालों के साथ वस्त्रों की खूबसूरती भी बड़ी बारीकी से उकेरी गई है। कुछ साल पहले रेनोवेशन का हल्का-फुल्का काम होने के बाद मंदिर में मामूली बदलाव जरूर आए, लेकिन आज भी यह जगह अपने गौरवशाली अस्तित्व को समेटे हुए है।

जमींदार गए तो भगवान पीछे ही छूट गए, शिव भक्तों ने संभाला

गरियाबंद में जमीदारों के महल छोड़ने को लेकर कई तरह की कहानियां मौजूद हैं। जानकारों से बात करने पर पता चला कि 1935 के आसपास यह बंगला जमींदारों के हाथ से निकल गया था। तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने पैसे देकर खरीदे या किसी दूसरे बहाने से निकाला, इसका ठीक-ठीक पता नहीं चला। यह जानकारी जरूर हुई कि पहले यहां कुछ समय तक थाना लगता था। फिर तहसील बना दिया गया। तब से यहां राजस्व न्यायालय लग रहा है।

मतलब एक ओर लोग भगवान के दर पर मत्था टेकने जाते हैं, तो दूसरी ओर न्याय की चौखट पर भी अर्जियां लगाने का काम जारी रहता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई मुराद यहां कभी अधूरी नहीं जाती। शिवरात्रि पर यहां हर साल तहसील स्टाफ की ओर से विशाल भंडारा लगाया जाता है। इनकी कोशिश रहती है कि आसपास के लोगों के अलावा भूतेश्वर नाथ के दर्शन से लौटे भक्तों को भी प्रसाद मिल जाए।

पुत्री का दर्जा औरों को भी, लेकिन अशोक सुुंदरी क्यों खास, जानिए…

शिवजी की 5 बेटियां और हैं। इनके नाम जया, विषहरी, शामिलबारी, देवी और दोतलि हैं। ये पांचों नाग कन्याएं हैं। इनका जन्म संयोग से हुआ, वो अलग कहानी है। अशोक सुंदरी की बात करें तो इनका जन्म पार्वती की इच्छा से हुआ। मान्यता के मुताबिक, अकेलेपन के चलते मां पार्वती ने अशोक वृक्ष से पुत्री मांगी। इससे अशोक सुंदरी की उत्पत्ति हुई। वह कार्तिकेय और श्रीगणेश की पहली बहन हैं। उन्हें गुजरात में ज्यादा पूजा जाता है। अशोक सुंदरी इसलिए भी खास हैं क्योंकि उन्हें शिवलिंग में स्थान मिला है।

बता दें कि शिवलिंग का ऊपरी अंडाकार भाग परशिव, निचला हिस्सा पीठम् कहलाता है। यह पराशक्ति यानी मां पार्वती प्रतिनिधित्व करता है। इसी तरह कार्तिकेय और गणेश के लिए अलग जगह है। महादेव की अन्य बेटियों में केवल अशोक सुंदरी को ही शिवलिंग में स्थान मिला है। शिवलिंग का अभिषेक करते वक्त जलहरी के जिस छोर से पानी नीचे गिरता है, उस स्थान पर अशोक सुंदरी का वास माना गया है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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