शांति में ‘अहम भूमिका’ निभाने के लिए यूक्रेन दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन में शांति मिशन पर होंगे। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने सोमवार को बताया कि पीएम मोदी सप्ताह के अंत में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन की आधिकारिक यात्रा करेंगे। पिछले महीने ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से फोन पर बातचीत में जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्री यरमक ने अपील की थी कि मोदी यूक्रेन में शांति स्थापित करने में ‘अहम भूमिका’ निभा सकते हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के करीब ढाई साल बाद यह पीएम मोदी की पहली यूक्रेन यात्रा ऐतिहासिक भी है। राजनयिक संबंध स्थापना के 30 से अधिक वर्षों में किसी भारतीय पीएम का यह पहला यूक्रेन दौरा होगा। इस यात्रा को शांति मिशन इसलिए भी कहा जा रहा, क्योंकि मोदी दुनिया के एक मात्र नेता हैं, जिनको रूस और यूक्रेन दोनों शांति दूत के रूप में देखने-सुनने को उत्सुक हैं। गौरतलब है कि पीएम मोदी पिछले महीने ही रूस से लौटे हैं, जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी शांति का संदेश दिया था।
पिछले दिनों रूसी जमीन पर हमले के बाद यूक्रेन ने भी कुर्स्क के 90 फीसदी इलाके पर कब्जा करने का दावा किया है। यूक्रेन ने यहां के तीन ब्रिज को भी नेस्तनाबूद कर दिया है, जिससे यह इलाका रूस से काफी कुछ कट गया है। माना जा रहा है कि जेलेंस्की ने रूस के इस इलाके पर कब्जा इस रणनीति के तहत भी किया है कि शांति वार्ता के दौरान इलाकों के लेन-देन की चर्चा होने पर यूक्रेन भी बातचीत के टेबल पर मजबूत दिख सके और उसकी बात गौर से सुनी जाए।
पोलैंड में 21 और 22 अगस्त को रुकेंगे मोदी
प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन की यात्रा से पहले 21-22 अगस्त को पोलैंड के दौरे पर रहेंगे। मोदी की पोलैंड यात्रा 1979 में मोरारजी देसाई की यात्रा के बाद 44 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। इसके पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने पोलैंड का दौरा किया था। वहीं सितंबर 2010 में पोलिश प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने भारत का दौरा किया। दोनों देशों में 2023 में 5.72 बिलियन डॉलर का का कारोबार हुआ था
पिछले दिनों ऐसे संकेत मिले हैं कि यूक्रेन को यूरोप के प्रमुख सहयोगी देशों जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस से मिलने वाली मदद में कमी आई है। दूसरी तरफ अमरीका भी चुनाव में उलझा हुआ है। ऐसे में जेलेंस्की के बातचीत की टेबल पर आने के लिए जमीन पूरी तरह अनुकूल है।
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट की भारत की स्थिति
भारत के विदेश मंत्रालय के सचिव तन्मय लाल ने कहा है कि कूटनीति और बातचीत से ही स्थायी शांति हो सकती है, इसलिए बातचीत बिल्कुल आवश्यक है। स्थायी शांति केवल उन विकल्पों से प्राप्त की जा सकती है जो दोनों को स्वीकार्य हों और यह केवल बातचीत के माध्यम से ही संभव है। भारत सभी हितधारकों के साथ संपर्क में है। पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं के साथ बातचीत की है। सूत्रों के अनुसार, भारत मध्यस्थता की बजाए दोनों के बीच संवाद सेतु की भूमिका निभाएगा।
कीव यात्रा की टाइमिंग है खास
पीएम मोदी के यूक्रेन दौरा संभावनाओं और आशंकाओं के चरम दौर के बीच हो रहा है। संभावना शांति की है तो आशंका रूस और यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों के युद्ध की चपेट में आ जाने की है।