प्राइवेट स्कूल वाले ध्यान दें… यहां बढ़ा दिए बस किराया, ट्यूशन फीस, जानकर लगेगा जोरदार झटका
लोकसभा चुनाव की प्रशासनिक व्यस्तता के बीच निजी स्कूलों ने ट्यूशन शुल्क में 20 से 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। इससे अभिभावक संघ नाराज है। संघ ने जिला शिक्षा अधिकारी के जरिए प्रशासन तक ज्ञापन देकर शुल्क में बढ़ोतरी के एकतरफा निर्णय का विरोध किया है। नियम कायदों का हवाला देते हुए कहा है कि निजी स्कूल 8 फीसदी से ज्यादा शुल्क बढ़ोतरी नहीं कर सकते।
फीस विनियामक समिति भी निगरानी नहीं कर रही है। जिले में लगभग 300 से अधिक निजी स्कूल संचालित हैं। इन निजी स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के लिए प्रवेश व पुन: प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इसके लिए प्रबंधनों की मनमानी चल रही है।
अधिकांश स्कूल प्रबंधनाें ने पिछले साल की अपेक्षा इस सत्र में ट्यूशन सहित अन्य शुल्क में फीस विनियामक समिति के बिना अनुमति और कलेक्टर के अनुशंसा के बिना ही किसी स्कूल प्रबंधन ने 20 तो किसी ने 25 फीसदी स्कूल के ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी कर दी है। इसके अलावा कई ऐसे भी स्कूल हैं, जो सुविधाएं स्कूल में नहीं, उसके नाम पर भी मोटी शुल्क वसूल किया जा रहा है।
इसका सबसे अधिक आर्थिक बोझ मध्यम वर्गीय परिवार पर पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि कई ऐसे मध्यम वर्गीय परिवार हैं, जिन्होंने बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए पिछले कुछ वर्षो तक आत्मानंद स्कूल, आरटीई, केंद्रीय विद्यायलों में प्रवेश कराने के लिए प्रयास किया। लेकिन बच्चों का प्रवेश नहीं मिला। मजबूरी में उन्होंने बच्चों को निजी स्कूल में प्रवेश कराया है।
अब निजी स्कूल प्रबंधनों की ओर लगातार बढ़ाई जा रही मनामाना शुल्क को लेकर अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। इधर अभिभावक बच्चों की भविष्य की चिंता को लेकर फीस वृद्धि के विरोध में सामने आने से बच रहे हैं। लेकिन अभिभावकों ने संघ के माध्यम से मोर्चा खोल दिया है। कलेक्टर से फीस बढ़ोतरी पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन दिया है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी नहीं, फिर भी प्रबंधन ने बसों का बढ़ा दिया किराया
एक ओर जहां प्रबंधनों ने ट्यूशन फीस बढ़ा दिया है तो वहीं महंगाई के नाम पर स्कूल बसों के किराए में भी बढ़ोतरी कर दी गई है। जबकि अभी पेट्रोल के दाम भी नहीं बढे़ हैं। इसके बाद भी बच्चाें को घर से स्कूल तक आवाजाही के लिए बस की सुविधा के नाम पर भी लेने के लिए पिछले साल की अपेक्षा अधिक रुपए का लिया जा रहा है। इसमें भी अलग-अलग स्कूलों में एक ही क्षेत्र के किराए की दर विभिन्न है। जबकि शहरी क्षेत्र में तीन से चार स्कूलों की दूरी एक-दूसरे से महज 500 मीटर से एक किलोमीटर की दूरी है। जबकि शासन की ओर से सामान्य बसों की अपेक्षा स्कूल बसों में कर में छूट दी जाती है। एक निजी स्कूल द्वारा पिछले सत्र के नवंबर से बस शुल्क में वृद्धि कर सत्र के प्रारंभ से अभिभावकों से बढ़े हुए किराए के आधार पर शुल्क लिया जा रहा है।
अभिभावक संघ ने डीईओ को सौंपा ज्ञापन
निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी से परेशान होकर अभिभावक अब संघ के पास पहुंच रहे हैं। अपनी समस्या से अवगत करा रहे हैं। इसे लेकर गुरुवार को अभिभावक संघ ने जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। इस पर कार्रवाई की मांग की है।
फीस विनियामक समिति की बैठक नहीं
स्कलों में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है, लेकिन स्कूलों में फीस में वृद्धि को लेकर फीस विनियामक समिति की बैठक नहीं हुई है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन बिना विनियामक समिति के सहमति के फीस में 20 से 25 फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी गई है। जबकि नियमानुसार कलेक्टर की अनुसंशा पर साल में अधिकतम आठ फीसदी तक ही बढ़ोतरी की जा सकती है। लेकिन प्रबंधनों ने कलेक्टर से अनुसंशा लेना भी उचित नहीं समझ रहे हैं।
टीसी मांगने पर घुमा रहा प्रबंधन
इधर निजी स्कूलों में बढ़ती फीस को लेकर कुछ अभिभावक महंगी शिक्षा को लेकर बच्चाें का स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग करने स्कूल पहुंच रहे हैं। इसमें भी प्रबंधन अभिभावकों को बार-बार घुमाया जा रहा है।