Health Alert: स्टार्टअप से दूर हो सकती है ब्रेन ड्रेन की दिक्कत
सभी क्षेत्रो में डिजिटलाइजेशन बढ़ रहा है। इससे एग्रीकल्चर भी अछूता नहीं है। स्टार्टअप इंडिया के डेटा के मुताबिक लगभग 32 हजार एग्रीकल्चर स्टार्टअप हैं। इस साल पूसा में देशभर से 1350 आवेदन आए हैं जिनमें से 40 का चयन किया गया है जिसमें से 60 परसेंट एग्रीकल्चर से रिलेटेड रहे। स्टार्टअप के जरिए हम ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा पलायन) की समस्या से निजात पा सकते हैं।
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई) में अभी तक 400 स्टार्टअप को इन्क्यूबेट किया है। इसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा आईआईटी से आते हैं। वे ऐसे स्टार्टअप हैं जिसे उन्होंने आईआईटी में डवलप किया। उनको एआई आता है, रिमोट सेंसिंग और दूसरे मशीन लर्निंग लैग्वेज आती हैं। वे एग्रीकल्चर में एक्सपेरिमेंट करने आते हैं। यह कहा, आईएआरआई की साइंटिस्ट और इन्क्यूबेशन सेंटर इंचार्ज आकृति ओझा ने।
वे आईजीकेवी में आयोजित एग्रीकल्चर इकोनॉमी रिसर्च एसोसिएशन की नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने पहुंचीं हैं। इस दौरान पत्रिका से बातचीत की। आकृति ने कहा एग्रीकल्चर में टेक्नोलॉजी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अभी भी मार्केट कई चीजों के लिए तैयार नहीं है। किसानों ने ड्रोन्स, रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग शुरू कर दिया है, जिसका फायदा खेती संबंधी अनुमान लगाने में मिलेगा।
इन्वेस्टमेंट से बढ़ेगा खेती में रिसर्च
एग्रीकल्चर इकोनॉमी रिसर्च एसोसिएशन के सेक्रेटरी अंजनी कुमार ने कहा कि कृषि में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टमेंट जरूरी है। खेती-किसानी में यदि लंबे समय तक निवेश हो तो फायदा जरूर मिलेगा। तकनीकी तौर पर देश की आय में खेती का योगदान कम होता है, इसका कम होना अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार कम नहीं हुआ। किसी को खेती से ज्यादा आय अन्य क्षेत्र में हो रही है तो वह मूव करेगा ही। अगर आप विकसित देशों को देखें तो पाएंगे कि वहां की जीडीपी में एग्रीकल्चर का हिस्सा 6 फीसदी से अधिक नहीं है।