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शहरों से ज्यादा गांव में बढ़ा कर्ज का मर्ज, पढ़ें ये रिपोर्ट

नई दिल्ली. आमतौर पर माना जाता है कि शहरों में लोग अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए ईएमआई पर सामान खरीदते हैं। लेकिन सरकार के सर्वेक्षण के मुताबिक, कर्ज लेने में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग शहरी लोगों से कहीं ज्यादा आगे हैं। गांवों में प्रति एक लाख लोगों में 18,714 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कोई न कोई कर्ज लिया है। जबकि, शहरों में एक लाख में 17,442 लोग कर्जदार हैं। सांख्यिकी मंत्रालय की व्यापक वार्षिक माड्यूलर सर्वेक्षण (कैम्स) रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में देश में प्रति एक लाख लोगों पर 18,322 लोग कर्जदार हैं। इसमें संस्थागत और गैर संस्थागत दोनों तरीकों से लिया जाने वाला कर्ज शामिल किया गया है।

ग्रामीण महिलाएं भी कर्ज लेने में आगे

कैम्स सर्वे के मुताबिक, एक लाख ग्रामीण पुरुषों में 24,322 ने कोई न कोई कर्ज ले रखा है। जबकि, शहरी क्षेत्रों में प्रति लाख 23,975 पुरुषों पर कर्ज था। इसी प्रकार गांवों में एक लाख महिलाओं पर 13,016 महिलाएं कर्ज में डूबी थीं। वहीं शहरों में प्रति लाख केवल 10,584 महिलाएं कर्जदार पाई गईं।

मासिक खर्च में भारी वृद्धि

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अनुसार, परिवारों के प्रति व्यक्ति मासिक खर्च में काफी वृद्धि हुई है। ग्रामीण परिवारों के मासिक खर्च में 10 साल में 164% और शहरी परिवारों के खर्च में 146% बढ़ोतरी हुई है। गांवों में भी शहरों के जीवन का अनुसरण किया जा रहा है। शहरों में स्वास्थ्य, शिक्षा से जुड़ी कई सेवाएं नि:शुल्क मिल जाती हैं, पर गांवों में इसके लिए भुगतान करना पड़ता है।

परिवारों की आय घटी

निवेश फर्म मार्सेलस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मध्यमवर्ग चुनौतियों से जूझ रहा है, जिससे उनके उपभोग के पैटर्न में बदलाव आया है। वजह परिवारों की बचत में आई गिरावट। रिपोर्ट में आरबीआई के हवाले से कहा गया कि परिवारों की बचत जीडीपी के 5.2% पर आ गई है, जो 50 वर्ष में सबसे कम है।

5 साल में स्वास्थ्य बीमा पर खर्च ₹8600 बढ़ा

वहीं, पॉलिसीबाजार की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश में इलाज का खर्च बढ़ने से स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम पिछले 5-7 वर्षों से हर साल औसतन 15% बढ़ रहा है। पिछले पांच वर्षों में इलाज का खर्च दोगुने से भी ज्यादा हो गया है, इस वजह से लोग अब अधिक कवरेज वाला हैल्थ इंश्योरेंस करा रहे हैं। 5 साल में हैल्थ इंश्योरेंस पर लोगों का सालाना खर्च 8600 रुपए बढ़ गया है। 2019 में लोग सालाना औसतन 17900 रुपए हैल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम चुका रहे थे, जो 2023-24 में बढ़कर औसतन 26553 रुपए हो गई। अधिकतर लोग 10 लाख कवरेज वाली पॉलिसी ले रहे हैं।

कृषि परिवारों की मासिक आय 10,218 रुपए

सिर्फ खेती-किसानी से होने वाली आय को गिना जाए तो एक किसान हर रोज केवल 27 रुपए ही अर्जित कर पा रहा है। इतनी कम आय में खेतों पर काम करना और जीवन चलाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। यह चिंता 21 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल उच्च स्तरीय समिति की अंतरिम रिपोर्ट में जाहिर की गई है। अंतरिम रिपोर्ट में 2018-19 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा गया कि कृषि परिवारों की औसत मासिक आय केवल 10218 रुपए है। समिति ने कर्ज माफी के साथ एमएसपी को कानूनी मान्यता देने की सिफारिश की है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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