लंदन से यूएई तक दिखा चुकी हैं राजस्थानी वास्तुकला की छाप

नागौर. राजस्थान की पारपरिक वास्तुकला को दुनियाभर में पहचान दिला रही हैं नागौर की माधुरी मच्छी। 31 वर्षीय माधुरी ने जर्मनी, इटली, लंदन, यूएई की कई इमारतों के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाते हुए राजस्थानी वास्तुकला को इन इमारताें से जोड़ा है। भविष्य के दतरों में एआइ, मशीन लर्निंग आर्किटेक्चर और कामकाज के आधार पर लचीलेपन के संबंध में माधुरी की थीसिस कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रकाशित हो चुकी है। उनके डिजाइन्स को कई देशों में बेस्ट प्रोजेक्ट का अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।

32 देशों की यात्रा

माधुरी बताती हैं कि उनका काम केवल डिजाइन तक सीमित नहीं है। वह भविष्य के शहरों के निर्माण में टेक्नोलॉजी, संस्कृति और समाज को जोड़ते हुए काम करने को प्राथमिकता देती हैं। इसके लिए उन्होंने यूएई, सऊदी अरब, चीन, इटली, आयरलैंड, मोनाको सहित 32 देशों की यात्रा की और 40 से अधिक अंतरराष्ट्रीय वास्तु प्रोजेक्ट पर काम किया। वर्तमान में वह लंदन में 3डी डिजाइन टीम सब-लीडर के रूप में काम कर रही हैं।

आसान नहीं था सफर

वह कहती हैं कि एक छोटे से गांव से लंदन तक का सफर आसान नहीं था। माधुरी के अनुसार जब वह दुबई गई तो वहां की चमचमाती इमारतें और राजस्थान की नक्काशीदार हवेलियों की वास्तुकला में अंतर देख उन्होंने तय किया कि इन दोनों को जोड़कर कुछ अलग स्थापित किया जा सकता है। दुबई और लंदन में ऑर्किटेक्ट की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने विदेशों में इमारतें बनाने का काम शुरू किया। जिसमें उन्होंने राजस्थानी हवेलियों की नक्काशी, अलंकृत झरोखों आदि को शामिल किया।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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