दाल की बढ़ती कीमतों ने उड़ाए होश, इधर शुरू हो गई जमाखोरी, अब सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला
बाजार में दाल की जमाखोरी और इससे कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए अब दालों के स्टॉक के लिए लिमिट तय कर दिया गया है। अब थोक व्यापारी अरहर व उड़द दाल 200 मीट्रिक टन और रिटेलर 5 मीट्रिक टन से ज्यादा स्टॉक में नहीं रख पाएंगे। स्टॉक के मिलान के लिए व्यापारियों को बकायदा सरकारी पोर्टल पर जानकारी अपलोड भी करनी होगी।
संजय बाजार और गोल बाजार के थोक और चिल्हर व्यापारियों का कहना है कि दो-ढाई महीने में अरहर दाल की कीमतों में 25 से 30 रुपए तक बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले तक कीमत स्थिर रही। दूसरे दालों की कीमत भी 10 से 20 रुपए तक बढ़ी है। जिले के बाजार बाहरी आवक पर निर्भर है। इसलिए कीमत भी बढ़ी है।
स्थानीय स्तर पर अरहर व उड़द का स्टॉक नहीं है। बाहरी आवक कम होने के कारण अरहर और उड़द दाल की कीमत लगातार बढ़ रही है। अरहर की दाल 135 से 185 रुपए किलो तक बिक रहा है। वहीं उड़द की दाल भी 120 से 130 रुपए किलो तक पहुंच गया है। सर्वाधिक खपत और आवक कम होने से कीमत बढ़ने की आशंका है।
स्टॉक की सीमा तय
शासन के द्वारा दालों का अधिकतम स्टॉक सीमा तय की गई है। जिसके अंतर्गत थोक विक्रेता को अरहर और उड़द दाल 200 मीट्रिक टन, चिल्हर विक्रेता को प्रत्येक दाल 5 मीट्रिक टन, बिग चैन रिटेलर आउटलेट में 5 मीट्रिक टन और डिपो में 200 मीट्रिक टन, मिलर 3 माह के उत्पादन अथवा वार्षिक क्षमता का 25 प्रतिशत रहेगी। आयातक सीमा शुल्क मंजूरी की तारीख से 45 दिनों से अधिक के लिए आयातित स्टॉक नहीं रख सकेगा।
सितंबर तक प्रभावशील रहेगा यह आदेश
केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के निर्देश पर प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के संचालक द्वारा जारी आदेश के मुताबिक स्टॉक के संबंध में यह सीमा 30 सितंबर 2024 तक प्रभावशील रहेगा।
जांच की जाएगी
केंद्र की उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस संबंध में राज्य शासन को निर्देश जारी किया है। इस पर राज्य शासन के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के संचालक ने दो दिन पहले ही जिला प्रशासन को इस आशय का पत्र भेजकर इसके परिपालन के लिए कहा है।
संचालक के निर्देश के मुताबिक आदेश सभी, थोक व चिल्हर व्यापारियों के साथ मिलर्स और चेन रिटेलर्स पर भी लागू होगा। आदेश के साथ मौजूदा स्थिति में तय लिमिट से ज्यादा दाल स्टॉक में होने पर उसके निपटान के लिए 12 जुलाई तक की सीमा तय की गई है।
दालों के मामले में जिले सहित प्रदेश की अधिकतर बाजार बाहरी आवक पर निर्भर रहता है। व्यापारियों के मुताबिक 80 फीसदी अरहर की आवक विदेशों से होती है। विदेशी अरहर को मंगाकर स्थानीय स्तर पर मिलिंग कर बाजार में खपाया जाता है। वहीं करीब 20 फीसदी दाल की पूर्ति स्थानीय और अन्य प्रदेशों के आवक से हो पाती है।
सहायक खाद्य अधिकारी दिव्यारानी कार्तियां ने बताया कि स्टॉक निर्धारण को लेकर शासन का निर्देश आया है। इस संबंध में जल्द ही व्यापारियों की बैठक ली जाएगी। शासन के निर्देश और गाइड लाइन के मुताबिक आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।