Nari Shakti: भाई की मौत ने तोड़ा, हिम्मत नहीं हारी, कर्ज लेकर गई दुबई, जीता गोल्ड
खरड़ पंजाब में ऑल इंडिया नेशनल पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद उसे दुबई में इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करना था, लेकिन आयोजन के तीन दिन पहले उनके साथ रह रहे चचेरे भाई की ब्रेन हेमरेज से मौत से उसे झटका लगा। लेकिन..

बिलासपुर. कहते है जिंदगी में दुख आते हैं तो परमात्मा उसे सहन करने की शक्ति भी देता है, बशर्ते आप पॉजिटिव सोच के साथ हिम्मत न हारे। कुछ ऐसा ही हुआ रायगढ़ की घरघोड़ा निवासी इंटरनेशनल खिलाड़ी मेघा भगत के साथ। खरड़ पंजाब में ऑल इंडिया नेशनल पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद उसे दुबई में इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करना था, लेकिन आयोजन के तीन दिन पहले उनके साथ रह रहे चचेरे भाई की ब्रेन हेमरेज से मौत से उसे झटका लगा। लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
कोच और परिजनों ने हौसला दिया। कोच से कर्ज लेकर जैसे तैसे दुबई गईं और एशियन बेंच प्रेस एंड डेडलिफ्ट चैंपियनशिप में ईरान, दुबई, मालदीप व अन्य देशों के खिलाडिय़ों के बीच मुकाबले में 67.5 किलोग्राम का भार उठाकर स्वर्ण पदक हासिल कर तिरंगा लहरा दिया। छत्तीसगढ़ स्ट्रांग वुमन का दो बार खिताब जीत चुकी मेघा ने बताया कि उनके पिता आर्मी से रिटायर हैं। पेंशन में ही घर का गुजारा चलता है। हम तीन भाई-बहन है। आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए वह बिलासपुर में 11 हजार की प्राइवेट नौकरी कर छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी एवं सर्टिफाइड कोच उत्तम कुमार साहू के मार्गदर्शन में प्रैक्टिस करती हैं।
घटाना था वेट, बन गई पावर लिफ्टर %
मेघा ने बताया कि 2023 में सीआईएसएफ में स्टेनोग्राफर पद के लिए अप्लाई किया था। फीजिकल टेस्ट में वह ओवरवेट होने से रिजेक्ट हो गई तो मायूस थी। बिलासपुर में वह जहां रह रही थी, उसी के बाजू में कोच उत्तम कुमार साहू का जिम था। वजन कम करने के उद्देश्य से जिम ज्वाइन किया, लेकिन कोच ने उसकी ताकत और जुनून को देखते हुए प्रैक्टिस कराई और एक सप्ताह बाद स्टेट लेवल कॉम्पीटिशन में शामिल होने की सलाह दी। मैंने उस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। यहीं से मेरा खेल के प्रति जुनून बढ़ता गया।
ऐसे जुटाई फीस की राशि
मेघा ने बताया कि दुबई में इंटरनेशनल चैंपियनशिप के लिए काफी कोशिश करने के बाद 1.20 लाख रुपए फेडरेशन की फीस नहीं जुटा पाने से दुखी थी। इस बीच कोच की सलाह पर मैंने फीस जमा करने की अंतिम तिथि से ठीक एक दिन पहले रायगढ़ कलेक्टर कार्तिकेय गोयल से मुलाकात की। उन्होंने मेरा खेल रेकॉर्ड देखा तो तत्काल 80 हजार रुपए की मदद की। बाकी राशि कोच से ली जो उन्होंने किसी से कर्ज लेकर दिया। परिजनों से कुछ मदद लेकर दुबई के लिए निकल पड़ी।
ओलंपिक खेलना लक्ष्य
मेघा का लक्ष्य देश के लिए ओलंपिक जीतना है। उसका सपना प्रदेश और अपने जिले के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने का भी है। लेकिन आर्थिक तंगी बाधा बन रही है। उसका कहना है कि एनटीपीसी, एसीईसीएल या सामाजिक संगठनों से उन्हें मदद मिले तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से ओलंपिक मैडल के साथ मिलना चाहेंगी।
मेघा की उपलब्धियां
दो बार छत्तीसगढ़ स्ट्रांग वुमन का खिताब
वेस्ट जोन स्ट्रांग वुमन ऑफ़ इंडिया का खिताब
नेशनल चैंपियनशिप में दो स्वर्ण और दो रजत
अंतरराष्ट्रीय एशिया बेंच प्रेस एवं डेडलिफ्ट चैंपियनशिप में एक स्वर्ण