She News: नगालैंड में रहकर महसूस हुई समस्या, फिर की शुरुआत

अहमदाबाद की वसंती वेलुरी पर्वतीय क्षेत्रों से लोगों का पलायन रोकने का प्रयास कर रही हैं। इसके लिए पिछले एक दशक से अभियान चला रही हैं। उन्होंने अब तक 100 से अधिक लोगों को पलायन से रोककर उन्हें शिल्पकला से जोड़ा है। वसंती बताती हैं कि पूर्वोत्तर भारत की कपड़ा परंपराओं का दस्तावेजीकरण करते समय नगालैंड में रहकर महसूस किया कि कई पारंपरिक शिल्पकलाएं विलुप्त हो रही हैं। मेलबर्न यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि भारतीय शिल्पकला को विदेशों में काफी महत्त्व मिलता है।
तब उन्होंने तय किया कि भारतीय शिल्प कलाओं को पुनर्जीवित कर नई पहचान दी जाए। वर्ष 2015 में वह उत्तराखंड पहुंचीं और स्थानीय शिल्पकारों से मिलीं। कारीगरों ने बताया कि सुविधाओं और रोजगार की कमी के चलते वे पलायन कर रहे हैं। वसंती कहती हैं, उन्होंने तय किया कि शिल्पकला बचाने के लिए पहले पलायन रोकना होगा। इस सोच के साथ उन्होंने सतोली गांव में बसने का निर्णय लिया। टेक्सटाइल डिजाइनर की नौकरी छोड़ वसंती ने वहां के लोगों के पलायन को रोकना व शिल्पकला सशक्त बनाना अपना लक्ष्य बना लिया। आने वाले समय में वसंती कई पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए काम करना चाहती हैं।

सुविधाओं के लिए कर रही हैं प्रयास
वह कहती हैं कि समुद्र से 1700 किलोमीटर की ऊंचाई पर बसे सतोली में कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। यहां जंगली जानवर, अधिक ठंड और बिजली न आना भी गंभीर समस्या है। ऐसे में यहां रहकर वस्त्र डिजाइनिंग और हस्तनिर्मित शिल्प उत्पाद बनाना एक चुनौतीपूर्ण काम था। उन्होंने एक संस्था शुरु की और इससे लोगों को जोड़ा।
वे कहती हैं कि हम यहां बिजली आपूर्ति कम होने से मशीनों पर कम निर्भर हैं ताकि हमारे उत्पाद प्रभावित न हो। वहीं चिकित्सकीय सुविधाएं 40 किमी दूर होने से उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप, स्थानीय एंबुलेंस, डॉक्टरों और टैक्सी ड्राइवरों का डेटाबेस स्थापित किया ताकि लोगों को समय पर उपचार मिल सके।