She News: मासूम बच्चों की जिंदगी में रंग भर रही हैं देवांशी

अगर आपके इरादे अटल हों और आपमें कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हालात भी आपके जुनून के सामने हार मान लेते हैं। ऐसी ही कहानी है, बरेली की एसिड अटैक सरवाइवर देवांशी यादव की, जिसने ना सिर्फ अपने आपको संभाला, बल्कि दूसरों का भी सहारा बनी। 2008 में वे एसिड अटैक का शिकार हुई थीं। इस हादसे में देवांशी का चेहरा पूरी तरह झुलस गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस दर्दनाक हादसे ने उन्हें और मजबूत बना दिया। देवांशी ने अपनी जिंदगी को फिर से संजोते हुए, दूसरों के लिए जीने का फैसला किया।
समाज का दृष्टिकोण बदलने की जिद
देवांशी का मानना है कि समाज में बेटों को हमेशा विशेष तवज्जो दी जाती है, लेकिन बेटियां भी किसी से कम नहीं होतीं। अगर बेटियों के साथ कोई हादसा हो जाता है तो परिवार को उनके साथ खड़ा रहना चाहिए। इससे वे मुश्किलों को आसानी से पार कर सकती हैं। देवांशी ने न केवल अपने जीवन के कठिनतम वक्त को पार किया, बल्कि दूसरों के जीवन में भी खुशियां भरी हैं। वह आज उन बच्चों के लिए काम कर रही हैं, जो किसी कारणवश अपने परिवार से दूर हो गए या जिनका परिवार ही नहीं है।

रुढ़िवादी सोच को तोड़ा
देवांशी ने कभी अपनी स्थिति को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने जिंदगी में एक नई दिशा तय की और तीन अनाथ बच्चियों को गोद लिया। देवांशी का कहना है कि वह एक मां के रूप में खुद को पूर्ण महसूस करती हैं। इसके अलावा, देवांशी ने अपने शहीद पिता के नाम पर एक एनजीओ भी शुरू किया है, जिसके जरिए वह गरीब बच्चों को शिक्षा, राशन, दवाइयां और इलाज मुहैया कराती हैं।