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She News: हैंडब्लॉक प्रिंट कला को बचाए रखना उद्देश्य

जयपुर से टेक्सटाइल डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन करने के दौरान एहसास हुआ कि आगे की जनरेशन ब्लॉक प्रिंट पर काम नहीं करना चाहती। क्योंकि इसमें पैसा कम और मेहनत ज्यादा है। देखते ही देखते उस दौरान कई यूनिट्स भी बंद हो गए, लेकिन ये कला मुझे काफी पसंद थी तो लगा कि इस कला को आगे बढ़ाने के लिए मुझे ही कुछ करना चाहिए। यह कहना भोपाल की रहने वाली गौरा जोशी नैनवानी का है जो हैंड ब्लॉक प्रिंट को बनाएं रखने के लिए साल 2013 से इस फील्ड में काम कर रही हैं।

देती हैं फ्री ट्रेनिंग

गौरा ने बताया कि जब इस काम को शुरू किया तो धीरे-धीरे विजन क्लियर हुआ कि मैं इस काम को कर सकती हूं। मैं पिछले 11 साल से भोपाल के सरकारी कॉलेजों में जाकर छात्राओं को फ्री में ब्लॉक प्रिंट सिखाने की ट्रेनिंग व फ्री इंटर्नशिप भी कराती हूं। ताकि वे इस कला को आगे लेकर जाए सकें। मैं लगभग दो हजार से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग दे चुकी हूं और अभी 8 महिलाएं को रोजगार दे रही हूं।

ये रहीं परेशानियां

शुरुआत में लोग को मेरे प्रोडक्ट महंगे लगते थे। तब उन्हें लाइव वर्कशॉप के जरिए दिखाती थी कि इसमें समय और मेहनत दोनों ही ज्यादा लगती हैं। इसलिए प्राइज भी ज्यादा हैं। साथ ही प्रोडक्ट को प्रयोग करने के तरीके के बारे में भी बताना पड़ता था, ताकि प्रोडक्ट की क्वालिटी खराब न हो। यंग जनरेशन इस प्रिंट को खुशी से पहन सके इसलिए कलर-कॉबिनेशन के साथ बदलाव करते रहते हैं। इस कला के बारे में बताने के लिए अलग-अलग शहरों में एग्जीबिशन लगाती हूं। जिस दौरान पता चला कि भोपाल से ज्यादा अन्य शहरों के लोग इस कला पर पैसे खर्च करते हैं।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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