She News: भावनाओं को शब्द व रंगों से देती हैं आकार
आंखों की परेशानी के कारण 30 वर्षों से घर से बाहर नहीं निकलने वाली यास्मीन कहती हैं कि मेरी आंखों का विजन केवल 2 प्रतिशत है, लेकिन मैंने इन रुकावटों से अपनी हिमत नहीं हारी और आगे बढ़ती रही। अपने आत्म विश्वास से अंधकार के सन्नाटों को जीतने वाली यास्मीन ने कई किताबें भी लिखी हैं। वह ड्रेस डिजाइनिंग का शौक भी रखती हैं। यास्मीन को जापानी इकेबाना कला में कई पुरस्कारों से समानित किया गया।
अपनी कल्पनाओं से रंगों के अथाह समंदर में गोते लगातीं यास्मीन साहनी की कलम उनकी भावनाओं को आकार देती हैं। मुबई निवासी यास्मीन का कूची और कलम से ऐसा रिश्ता बन चुका है कि आंखों की बहुत कम रोशनी होने के बावजूद भी वह जमीन पर बैठ कर पेंटिंग करती हैं। उनकी हर पेंटिंग की गहराई को उनकी लिखी कविताएं शब्द देती हैं। यास्मीन की पेंटिंग और कविताओं में स्त्री और प्रकृति के खिलाफ अन्याय को स्पष्ट बयां करती कहानियां होती हैं, जो हमें भविष्य के प्रति आगाह और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
बेटे और पति के दुख को भुलाने के लिए
24 वर्षीय बेटे को खोने के गम को भुलाने के लिए अपने मन की भावनाओं को रंगों में ढालने वाली यास्मीन ने 60 वर्ष की उम्र में पेंटिंग करना शुरू किया। वह बताती हैं कि 1988 में मैक्यूला डीजेनेरेशन से ग्रसित होने के कारण मेरी आंखों की रोशनी बहुत कम हो गई थी। इसके बाद बेटे के गम ने मुझे तोड़ दिया। लेकिन मैंने अंधेरे से लड़ते हुए अपने गम को छुपाने के लिए पेंटिंग का सहारा लिया।’ वह कहती हैं, ‘इसके बाद पति की मृत्यु के बाद मैंने हताश होने के बजाए अपने अकेलेपन को अपनी कविताओं से पूरा करना शुरू किया। मैं अपने लेखन कार्य में पूरी तरह रम गई।’