She News: बेसहारा जानवरों का सहारा बनती हैं इरम

समाज में लड़का और लड़की के बीच भेदभाव की बात हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं। लेकिन यह भेदभाव जानवरों के साथ भी होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह के असमान व्यवहार को खत्म करने का बीड़ा उठाया है रानीखेत, उत्तराखंड की इरम कुरैशी ने। वे इन जानवरों को बचाने के साथ-साथ इनकी नसबंदी भी करवाती हैं। सरकारी महकमों में चक्कर लगाने और कई लोगों से गुजारिश करने पर उन्हें 2019 में अपने घर में एक अस्पताल शुरू करने की अनुमति मिली, जहां वे पशुओं का इलाज करवाती हैं।

ओल्ड एज होम भी बनाया

उनका कहना है कि पहाड़ी इलाकों में कई मादा पशुओं को जंगल में छोड़ने का मुय कारण उनकी नसबंदी नहीं होना है। इस संबंध में सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने घर में एक अस्पताल बनवाया। उनका कहना है कि इस अस्पताल में दिल्ली, पुणे, मुंबई से डॉक्टरों को बुलाकर इन जानवरों की नसबंदी और स्वास्थ्य जांच करवाते हैं। इसके साथ ही एक पशु ओल्ड ऐज होम बनाया है, जिसमें जो भी व्यक्ति अपने बुजुर्ग और बीमार जानवरों को छोड़ना चाहता है, वे उन्हें यहां छोड़ सकते हैं। यहां इन जानवरों की देखभाल की जाती है।

नहीं मिली कोई व्यवस्था

45 वर्षीय इरम कहती हैं कि एक दिन उनका बेटा मिट्टी में दबा एक छोटा पपी घर लेकर आया। उन्होंने इस बात की जांच-पड़ताल की तो पता चला कि फीमेल पपी को जन्म लेते ही या तो मिट्टी में दबा दिया जाता है या फिर उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है। इस बात ने उन्हें झकझोर दिया और उन्होंने इनकी नसबंदी करवाने की कोशिश की तो पता चला कि इस तरह की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने तभी से तय किया कि वे इनका जीवन बचाएंगी।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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