She News: एग्जाम बच्चों का, टेंशन में मम्मी

इस तरह के केस बोर्ड एग्जाम के दौरान कई घरों में देखे जाते हैं। मनोविशेषज्ञों का कहना हैं कि बच्चे की परीक्षा के संबंध में अभिभावकों का एक्स्ट्रा केयरिंग होना, उसके एकेडमिक स्कोर को खराब भी कर सकता है। साथ ही अपनी इस आदत से पेरेंट्स भी तनावग्रस्त हो जाते हैं। इस संबंध में माताओं पर असर अधिक होता है।
स्वयं को दोषी ठहराती हैं..
चिकित्सकों के अनुसार परीक्षा के समय मां अपने बच्चों का एक टाइट शेड्यूल तय करती हैं और अधिक परवाह दिखाते हुए खुद भी उसी टाइम टेबल के अनुसार अपना रूटीन बना लेती हैं। कुछ समय के लिए वह सभी से दूर रहती हैं। तनाव के कारण उन्हें अनिद्रा, भूख कम लगना, किसी काम में मन नहीं लगना और झुंझलाहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं, जो चिंताजनक है।
केस 1
रिया इस बार 10वीं कक्षा में है और उसकी मम्मी उसे रात को दो बजे तक पढ़ाती हैं। इसके बावजूद रिया का प्रीबोर्ड का पेपर खराब हो गया। ऐसी स्थिति में रिया की मम्मी खुद को दोषी मानते हुए डिप्रेशन का शिकार हो गई।
केस 1
12वीं कक्षा के अर्नव के पेरेंट्स ने उसकी बोर्ड परीक्षा के लिए किसी भी शादी-समारोह में जाना बंद कर दिया है ताकि अर्नव को कोई परेशानी न हो। उसकी मम्मी को उसके एग्जाम की इतनी टेंशन रहती हैं कि उसे रातभर नींद नहीं आती है।
केस 2
इन दिनों बच्चों के साथ मां के डिप्रेशन के मामले सामने आ रहे हैं। एग्जाम के समय में माता-पिता का बच्चे के प्रति अधिक पजेसिव होने से बच्चे का प्रदर्शन बिगाड़ भी सकता है। एग्जाम टाइम में पढ़ाई के बजाए बच्चे को पूरी साल पढ़ाई पर फोकस करने के लिए कहें।
-डॉ. तुषार जगावत, मनोचिकित्सक