She News: अपने गांव को बनाया प्लास्टिक मुक्त, जानें लखीमपुर की मनतिया राणा के बारे में..
पारम्परिक कला को आगे बढ़ाते हुए पर्यावरण प्रदूषण रोकने में भागीदारी दिखा रही हैं उत्तर प्रदेश, लखीमपुर के खीरी गांव की मनतिया राणा। 38 वर्षीय मनतिया ने अपने क्षेत्र की पुरानी कुस-मूंज की हैंडीक्राफ्ट कला से लोगों को फिर से जोड़ा। जिससे आज पूरा गांव प्लास्टिक छोड़ कुस और मूंज से बनाए हुए प्रोडक्ट का ही घरेलू कामों में उपयोग कर रहा है। वह कहती हैं कि ‘सालों पहले क्षेत्र के बुजुर्ग इस घास से डलिया, टोकरियां, जूतियां, दरियां और घरेलू उपयोग की वस्तुएं बनाया करते थे, लेकिन बुजुर्गों के साथ उनकी यह कला भी हाशिए पर चली गई। लोगों ने प्लास्टिक के बने उत्पाद काम मेेें लेने शुरू कर दिए। ऐसे में मैंने 2015 में फिर से इस काम को शुरू किया और अन्य महिलाओं को भी इससे जोड़ने के प्रयास किए, जो रंग भी लाए।
घर-घर जाकर समझाया
वह कहती हैं ‘शुरुआत में मैंने घर-घर जाकर लोगों को समझाया और इस घास की गुणवत्ता के बारे में बताया। साथ ही बताया कि किस तरह से इसे आय का जरिया बनाया जा सकता है। धीरे-धीरे उन्हें समझ में आया और आज मेरे साथ 500 से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं।’ वह बताती हैं कि जंगल और नदी किनारे इस घास को तोड़ने में जानवरों के खतरों को देखते हुए पुरुषों के साथ मिलकर महिलाएं ग्रुप बनाकर काम करती हैं।