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She News: काम आया मां का भरोसा, नक्सल बेल्ट में चलाई ट्रेन

टी हुसैन. आप क्या हैं और क्या कर सकते हैं, यह आपसे ज्यादा मां समझती हैं। कई सफल व्यक्तियों के पीछे मां ही प्रेरणा रही हैं। लोको पायलट प्रतिभा एस. बंसोड़ भी यही मानती हैं। वे बताती हैं, पिता के निधन के बाद मां ने मुझे आगे बढ़ाने में पूरा सपोर्ट किया। वे भले ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन कहती थीं कि तुम कर सकती हो, जरूर ट्राई करो। उनके भरोसे ने मुझे पहली लोको पायलट बनाया और मैंने दल्लीराजहरा-गुदुम डेमू चलाई। इस बात पर मुझे मां पर गर्व है।

मैं नहीं कर पाई, तुम्हें कुछ करना है

प्रतिभा ने बताया, मां का प्रोत्साहन हमेशा मेरे साथ रहा। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने हमें पढ़ाया। वे अक्सर कहती थीं कि बेटा मैं तो कुछ नहीं कर पाई, लेकिन तुम्हें कुछ करना है। उनकी यही बात मुझे हमेशा कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करती थीं।

प्रतिभा कहती हैं, ट्रेन चलाना, खासकर नक्सल बेल्ट में, उस वक्त चुनौती मानी जाती थी, पर खुद पर भरोसा और अपनों का आशीर्वाद हो तो आप असंभव को भी संभव कर सकते हैं। बतौर महिला यह काम दिक्कत वाला हो सकता है लेकिन जैसे-जैसे आप अनुभवी होते जाते हैं, चीजें आसान होने लगती हैं। हालांकि एक मेंटली प्रेशर रहता है कि कैसे काम होगा, कई बार रात में भी चलना होता है, लेकिन सबके सपोर्ट से चीजें आसान हो जाती हैं।

जब एक महिला ने पांव छुए

प्रतिभा ने संस्मरण को साझा करते हुए बताया, जब मैं लिंक एक्सप्रेस लेकर कोरबा से आ रही थी तब कोटमी सुनार स्टेशन में एक महिला ने अचानक मेरे पांव छू लिए। उम्रदराज महिला का इस तरह पांव छूना मेरे लिए असहज घटना थी। उस महिला ने मुझसे कहा कि कहीं से पता चला कि कोई लड़की ट्रेन चलाती है। इसलिए मुझे वह देखने ही आई थी।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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