She News: प्रीति के प्रयासों से गांव में फैला शिक्षा का उजियारा

जिस गांव में बच्चों को स्कूल भेजने में लोग संकोच करते थे आज वहां परिजन बच्चों को खुद स्कूल पहुंचाने जाते हैं। यह संभव हुआ है जौनपुर, उ.प्र. की शिक्षिका प्रीति श्रीवास्तव के प्रयासों से। आज यहां हर घर से बच्चे स्कूल जाते हैं और डिजिटल माध्यम से जुड़कर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। 25 बच्चों के विद्यालय में अब 150 बच्चे पढ़ते हैं। प्रीति कहती हैं कि जब 2013 में भदाई से उनका ट्रांसफर बक्सा गांव में हुआ तो यहां शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता की काफी कमी थी। इसके लिए काम करते हुए उन्हाेंने बच्चों की समस्याएं जानने के लिए ‘चिठ्ठी आई है’ अभियान शुरू किया, जिसके जरिए वह उनकी परेशानियां हल करती हैं। शिक्षा को रुचिकर बनाने के लिए उन्होंने प्रोजेक्टर व टीवी लगवाएं।

पढ़ाई का खर्चा भी उठाया

प्रीति को पता चला कि लोग आर्थिक तंगी के कारण बालिकाओं को पढ़ाने के बजाए उनकी शादी करने को प्राथमिकता देते थे। इसलिए उन्हाेंने बालिकाओं का अपने खर्चे पर स्कूल में एडमिशन करवाया और उन्हें शिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई। कई बार गांववालों ने विरोध भी जताया, लेकिन समझाने पर वे मान गए। बच्चियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हुए उन्हाेंने सेनेटरी पैड बांटने की मुहिम शुरू की। प्रीति को उनके कार्यों के लिए वर्ष 2021 में मिशन शक्ति अवॉर्ड और राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

पिता ने किया प्रेरित

प्रीति कहती हैं कि जब मैं पहली बार यहां के स्कूल में आई तो मैंने अपने पिता से कहा कि यहां की हालत बहुत खराब है। बैंच और डेस्क तक नहीं है, तो पापा ने प्रेरित करते हुए कहा कि अच्छे को तो सभी अच्छा करते हैं, लेकिन जो खराब को अच्छा कर दे, काम उसका बोलता है। फिर क्या था, शुरू हुई बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की मुहिम। कोरोना में उनकी टीम ने एजुकेशनल कंटेंट तैयार किया और ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की और अब पूरे जिले में करीब 10 हजार शिक्षक मिलकर बच्चों को शिक्षा देते हैं।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
Back to top button