She News: न दें कोई निगेटिव लेबलिंग, ताकि बना रहे कॉन्फिडेंस
कॉम्पीटिशन के चलते पेरेन्ट्स हर वक्त अपने बच्चों की तुलना दूसरों के बच्चों से करते रहते हैं। ऐसे में बच्चों का मनोबल टूट जाता है और वे इन्फीयरिटी कॉम्पलेक्स के शिकार हो जाते हैं। उन्हें लगने लगता है कि वे वाकई में कुछ कर नहीं सकते, जो उनके भविष्य के लिए खतरा पैदा कर देते हैं। इसलिए हमें बच्चों से प्यारभरा व्यवहार करने की जरूरत है।
- डॉ. अंकिता शुक्ला, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
सबसे पहले आप देखें कि आपके बच्चे का व्यवहार कुछ दिनों में बदला है क्या? अगर आपको ऐसा लगता है तो उसके साथ आपको प्यार से पेश आने की जरूरत है।
कई बार माता-पिता बच्चों को घर पर ही छोड़ देते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में बच्चे को अकेले न रहने दें। उसे जितना हो सकें, अपने प्यार का अहसास करवाएं। उसे लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा रखने की कोशिश करें।
कई बार पेरेन्ट्स बच्चों को कहते हैं कि तुम यह नहीं कर सकते ‘यू आर द इररिसेस्पॉसिबल’ या नकारा बोल देते हैं, इस तरह के लेबल बच्चों के दिमाग में बैठ जाते हैं। बच्चों के साथ इस तरह के लेबलिंग का यूज न करते हुए, उन्हें पॉजीटिव रखें।
बच्चे को बार-बार इनसल्ट फील करवाने के बजाए, उसका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ाएं। उसमें विश्वास जगाएं कि वह यह कर सकता है। इसके लिए उसे छोटे-छोटे टास्क दें और उन्हें पूरा करने पर उसे एप्रीशिएट करें। जिसमें उसे कोई गिफ्ट या टॉय लाकर दिया जा सकता है। उसे एक्टिविटी से संबंधित कई तरह के गेम खिलवाएं, जिससे उसकी झिझक दूर हो सके।