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She News: कभी घर-घर बेचा करती थीं कपड़े, आज दे रही हैं रोजगार

कभी डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली दरभंगा, बिहार की आशा झा आज कपड़ों पर मधुबनी पेंटिंग के जरिए पहचानी जाती हैं। उन्होंने इस पेंटिंग को कपड़ों पर आजमाकर एक नया मुकाम हासिल किया है। इनके पेंटिंग किए गए कूशन, साड़ियां, ड्रैसेज आदि सभी आज काफी पसंद किए जा रहे हैं। 56 वर्षीय आशा ने प्रशिक्षण देने के साथ ही 250 महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करवाया है। उनको 2013 में राष्ट्रीय पुरस्कार से समानित भी किया जा चुका है।

एग्जीबिशन से मिली पहचान

वह कहती हैं, ‘25 साल पहले मैंने इस काम की शुरुआत की थी। इस दौरान जब मैं पटना एग्जीबिशन में शामिल हुई, तो वहां मेरे मधुबनी पेंटिंगयुक्त प्रोडक्ट्स को लोगों ने काफी पसंद किया और फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अभी तक मैंने 2000 से अधिक महिलाओं को इस कला का प्रशिक्षण दिया है।’

बेटियों ने दिखाई आशा की किरण

वह बताती हैं कि आर्थिक परेशानी के कारण वह लोगों से घरों में काम मांगने र्गइं, लेकिन बेटियों ने उन्हें उनकी मधुबनी पेंटिंग कला को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इस पर उन्होंने कपड़ों पर इस पेंटिंग को बनाकर एक उदाहरण पेश किया। इसके बाद उन्होंने कुछ पैसों से कपड़े खरीदे और फिर उन पर मधुबनी आर्ट बनाकर घर-घर जाकर उन कपड़ों को बेचा। काम आगे बढ़ता गया और आज उनका खुद का कारखाना है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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