Nari Shakti: संघर्ष से डरी नहीं, बल्कि ‘राधाभक्ति’ को बनाई अपनी पहचान
सरिता दुबे. महिलाएं तमाम मुश्किलों के बाद भी हारती नहीं हैं, बल्कि पहले से ज्यादा मजबूत बनती हैं। मैं बहुत खुश हूं कि मैं आत्मनिर्भर हूं और यह मेरे अंदर आत्मविश्वास पैदा करता है। यह कहना है 52 वर्षीय वंदना ठक्कर का। उन्होंने 12 साल पहले अपनी दो बेटियों राधा और भक्ति के नाम से राधाभक्ति गृह उद्योग शुरू किया और आज रायपुर में इनके बनाए सामान हर दुकान पर नजर आते हैं। पति की मृत्यु के बाद वंदना ने नाश्ता बनाने का व्यवसाय घर से ही शुरू किया। शुरुआत में 3 महिलाओं के साथ काम किया और आज 15 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।
वंदना कहती हैं कि कभी अतीत के दुखों को याद नहीं करना चाहिए क्योंकि आपका अतीत दुखों से भरा है, तो वह सिर्फ दुख ही देगा। वंदना ठक्कर बहुत ही गर्व के साथ कहती हैं कि मेरी दो बेटियां मेरा संबल हैं।
वंदना बताती हैं कि उनके पति नशा करते थे। पूरी संपत्ति बिक गई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनके गुजरने के बाद खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करने और अपनी 2 बेटियों की परवरिश के लिए उन्होंने घर से ही नमकीन बनाने का काम शुरू किया। मास्टर डिग्री करने के बाद एमफिल किया, लेकिन नौकरी नहीं की। उन्हें खाना बनाने का शौक था। इस कारण उन्होंने अपने शौक को ही व्यवसाय बनाया।
आत्मनिर्भरता ही सच्ची साथी वंदना कहती हैं कि आत्मनिर्भरता आपके अंदर आत्मविश्वास पैदा करती है। यह हर परिस्थिति में आपकी सच्ची साथी होती है। इसलिए बेटियों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित अवश्य करें। ताकि जीवन में आने वाली मुश्किलों का वे डटकर सामना कर सकें।
भाई-भाभी की मदद की
वंदना संघर्ष से डरी नहीं, बल्कि राधाभक्ति को अपनी पहचान बनाया। इतना ही नहीं अपने साथ-साथ भाई-भाभी का भी व्यवसाय शुरू कराने में मदद की। वंदना कहती हैं कि महिलाएं किसी से कम नहीं है और हमें आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है।