Operation Sindoor: उजड़ी मांगों का सिंदूर ने लिया हिसाब, 7 दिन की सुहागन को मिला जवाब

16 अप्रैल…22 अप्रैल। शादी के सिर्फ 7 दिन। उस दिन (23 अप्रैल) हिमांशी नरवाल की वीरान आंखें फूलों से सजी नेवी लेफ्टिनेंट पति विनय नरवाल की पार्थिव देह को देख रही थीं। वक्त की मार से बेजार उसके चेहरे पर न जाने कितने रंग आ-जा रहे थे। गुलाबी रंग अब पीला पड़ चुका था। लेफ्टिनेंट विनय उसे ब्याहकर लाए थे तो खुशियां आसमान पर थीं। बस 7 दिन…उनके अस्फुट स्वर होठों में ही फंस कर रह गए। ऐसा लगा किसी ने उसे नींद से जगा दिया। अब वह वक्त की कठोर जमीन पर थी।

आतंकियों ने पहलगाम में उनके पति की उनकी आंखों के सामने हत्या कर दी थी। बस 7 दिन…सब कुछ बदल गया। जमाना साथ था…लेकिन लेफ्टिनेंट पति का हाथ नहीं…। करनाल के सेक्टर-7 स्थित उनके घर पर विनय की अंतिम यात्रा की तैयारी की जा रही थी। उन्होंने आंखों में आंसू लिए 6 बार चेहरे को चूमा और सिर पर हाथ फेरा। इसके बाद वह खड़ी हुईं और पति की पार्थिव देह को सैल्यूट कर कहा, देश को विनय के बलिदान पर गर्व है, जय हिंद। उस समय हर किसी की आंखों में आंसू थे।

Operation Sindoor

पति विनय के विदा होने के बाद हिमांशी बार-बार अपने पिता और विनय के ससुर सुनील स्वामी से पूछती थी, पापा…सरकार जवाब कब देगी? ऑपरेशन सिंदूर की खबर मिलने के बाद हिमांशी ने कहा कि इसके लिए मैं पीएम मोदी और देश की सेना को धन्यवाद करती हूं लेकिन सेना की ये कार्रवाई यहीं नहीं रुकनी चाहिए, आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर से विनय की आत्मा को शांति मिली होगी। जिन लोगों ने मासूम लोगों की जान ली, उन लोगों को सख्त सजा मिली है। ताकि इस तरह की पीड़ा और सदमे से किसी दूसरे इंसान को ना गुजरना पड़े।

पहलगाम हमले में जान गंवाने वाले पुणे (महाराष्ट्र) के संतोष जगदाले की बेटी अस्वरी जगदाले ऑपरेशन सिंदूर की खबर सुनकर भावनाओं को रोक नहीं पाई। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने बदला लिया है। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर आतंकियों ने छीना था, आज भारत ने उनका जवाब 9 जगहों पर दिया है।

सिंदूर…भावुक कर दिया : संगीता

हमले में महाराष्ट्र के कौस्तुभ गणबोते भी शहीद हुए थे। उनकी पत्नी संगीता गणबोते ने कहा, सेना का यह कदम सराहनीय है। ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनकर मैं भावुक हो गई। यह महिलाओं के सम्मान का प्रतीक है। पीएम मोदी ने आतंकियों को करारा जवाब दिया। आतंक का खात्मा होना चाहिए।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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