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पिता नहीं चाहते थे कि बेटी आर्मी में जाए, परिवार से करनी पड़ी लडी : टी.हुसैन राजिमवाले

लोगों ने कहा लडक़ी को डिफेंस में भेजने की क्या जरूरत। उसे पढ़ाओं और कोई आसान वाली नौकरी दिलवा दो। आज नहीं तो कल ससुराल ही जाएगी

रायपुर। घर वालों ने और गांव वोलों ने कहा कि लड़की को ज्यादा दूर नहीं भेजना है इस कारण इसे टीचर की नोकरी करवाओं , लेकिन दीपिका तो कुछ अलग ही सपने लेकर बैठी थी। वो आर्मी में जाना चाहती थी घर वालों ने परमिशन नहीं दी तो वो घर वालों लड़ी कि मैं आर्मी में ही जाऊंगी। ये कहानी है कांकेर जिले के सरंगपाल की दीपिका देवांगन की। बचपन से उन्हें आर्मी में जाने का जुनून था लेकिन पिता चाहते थे कि बेटी टीचर बने। देश की रक्षा कर रहे जवानों को देखते हुए दीपिका का पूरा फोकस उसी दिशा में बढ़ता गया। दीपिका ने इंटरनेट के जरिए डिफेंस में जाने का रास्ता तलाशा। एक्स नेवी ऑफिसर आरके साहू से वे मिलीं और उन्होंने दीपिका को गाइड किया। जज्बे और जुनून ने दीपिका को मंजिल तक पहुंचाया। उनका सलेक्शन पैरा मिलिट्री के लिए हो गया है। वे पश्चिम बंगाल में ट्रेनिंग लेंगी।

पैरेंट्स भी करें मोटिवेट

देश की खातिर जंग के लिए मैंने परिवारसे लड़ाई की। गांव के लोग पिता से कहते थे कि लडक़ी को डिफेंस में भेजने की क्या जरूरत। उसे पढ़ाओ और कोई आसान वाली नौकरी दिलवा दो। आज नहीं तो कल ससुराल ही जाएगी न। मेरे पिता उनकी बातों में नहीं आए। मेरे मनाने पर वे मान गए और मेरा रास्ता डिफेंस के लिए क्लियर हो गया।

सोशल मीडिया का यूज कम करें

आज के युवा कॅरियर बनाने की उम्र में सोशल मीडिया में टाइम पास करते हैं। ऐसा करना बहुत घातक है। सोशल मीडिया का ज्यादा प्रयोग आपको लक्ष्य से भटकाता है। आप जो भी बनना चाहते हैं उस पर फोकस करें।

लक्ष्य बनाकर मेहनत करें

किसी भी क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए सबसे जरूरी है लक्ष्य बनाना। इसके बाद उसे हासिल करने के लिए निरंतरता जरूरी है। कभी ऐसा भी लगेगा कि यह मेरे बस का नहीं, ऐसे समय में उन लोगों के संघर्ष को याद करें जो अपनी मेहनत के बल पर मनचाहे मुकाम पर गए हों। मेरे लिए देश सेवा से बढक़र कुछ नहीं था इसलिए मैंने इसे चुना।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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