नीट यूजी के लिए सख्ती, फर्जी छात्रों की ऐसे होगी पहचान, परीक्षा केंद्रों में लगाएं जैमर

इस साल 4 मई को होने वाली नीट यूजी तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच होगी। परीक्षा केंद्रों में जैमर लगाए जाएंगे। यही नहीं, कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा, जहां पर परीक्षा की निगरानी की जाएगी। हर जिलों में कलेक्टर-एसपी के नेतृत्व में उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी की निगरानी में परीक्षा होगी। कमेटी की जिमेदारी है कि पेपर लीक न हो। फर्जी छात्र परीक्षा देने न पहुंचे, इसका भी ख्याल रखना होगा। प्रदेश के 10 सरकारी समेत 15 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 2130 व बीडीएस की 600 सीटें हैं।

बिहार, झारखंड समेत अन्य राज्यों में हुआ था विवाद

मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस-बीडीएस कोर्स में प्रवेश के लिए नीट यूजी में एक माह से कम समय रह गया है। पिछले साल झारखंड, बिहार व अन्य राज्यों में पेपर लीक के कारण बड़ा विवाद हुआ था। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, जहां परीक्षा दोबारा न कराने का फैसला दिया गया। वहीं, कई स्थानों पर गलत पेपर बांटे गए थे। प्रदेश के बालोद व दंतेवाड़ा में दूसरा पेपर देने से छात्रों को आधे घंटे बाद सही पेपर मिला था।

छत्तीसगढ़ में सामने आए लापरवाही के ऐसे मामले..

बालोद में रिजर्व रखे पेपर का वितरण किया गया था। वहीं, दंतेवाड़ा में हिंदी माध्यम के छात्र को इंग्लिश मीडियम का पेपर दे दिया गया था। इस कारण दोनों ही सेंटरों में दोबारा परीक्षा कराई गई थी। इन सब बातों को देखते हुए एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) ने परीक्षा की व्यवस्था को लेकर बड़ा बदलाव किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय परीक्षा की मॉनीटरिंग करेगा, जिससे पेपर लीक होने की संभावना नहीं के बराबर हो।

सरकारी स्कूल, यूटीडी व आईआईटी होंगे सेंटर

अभी तक सीबीएसई के निजी स्कूलों को सेंटर बनाया जाता था, लेकिन परचा लीक कांड के बाद व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इस बार शासकीय स्कूल-कॉलेजों, यूटीडी, आईआईटी, एनआईटी व बड़े कॉलेजों को सेंटर बनाया जाएगा। पिछले साल जो भी पेपर लीक हुए, वे सभी निजी स्कूल थे। हालांकि बालोद व दंतेवाड़ा में जो परीक्षा हुई, वे सरकारी स्कूल व कॉलेज थे। ट्रेनिंग के बाद भी परीक्षकों ने पेपर बांटने में गलती कर दी, जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ा।

पिछले साल 45 हजार छात्र थे, इस बार कम

नीट यूजी में प्रदेश से पिछले साल 45 हजार के आसपास छात्र शामिल हुए थे। इनमें 22 हजार से ज्यादा क्वालीफाइड हुए थे। इस बार छात्रों की संया डेढ़ हजार कम रहने की संभावना है। दरअसल, देशभर में पिछले साल 24 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी और इस साल यह संया कम होकर 23 लाख पर आ गई है। पिछले साल कटऑफ हाई होने के कारण कई छात्र सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश से वंचित रह गए थे। इस बार कटऑफ हाई जाएगा या नहीं, नीट होने के बाद पता चलेगा।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
Back to top button