नानी-दादी के तरीके को बड़े स्टार्टअप में बदलने वाली कामयाबी की कहानी

इंदौर। इंदौर के वरुण और बबीता रहेजा ने शार्क टैंक सीजन-4 में 1.75 करोड़ की डील 7 प्रतिशत इक्विटी पर हासिल कर ली है। मां-बेटे की जोड़ी ने शार्क्स के सामने अपने सोलर ड्रायर के बिज़नेस आईडिया के बारे में बताया जो सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और किसानों के लिए फायदेमंद है। शार्क विनीता सिंह, पियूष बंसल और कुणाल बहल को उनका बिजनेस आईडिया अच्छा लगा और वे डील के लिए तैयार हो गए। किसान, पर्यावरण और सेहत फ्रेंडली होना इस कंपनी को दूसरों से अलग बनाती है।

इंदौर के स्टार्टअप रहेजा सोलर फ़ूड प्रोसेसिंग ग्रुप ने ऐसा प्रोडक्ट तैयार किया जो किसानों, पर्यावरण और सेहत तीनों के लिए फायदेमंद है। इस समूह को शुरू किया एक माँ-बेटे ने और तरीका अपनाया दादी-नानी का। आमतौर पर घरों में सीजनल फल, सब्जियों और मसालों को सुखाकर रखने की परंपरा रही है। हमने हमारे घरों में बुजुर्गों को मैथी, मटर, हरा चना, कच्चा आम सुखाते देखा है। बाद में ये पूरे बारह महीने काम आते हैं।

इसी तरीके को बड़े स्तर पर शुरू किया है रहेजा सोलर प्रोसेसिंग ग्रुप ने। इसमें सबसे बड़ा फायदा किसानों का हुआ वे अब टमाटर जैसे प्रोडक्ट फेंकने को मजबूर नहीं है। उनके खेत में ही रहेजा सोलर प्रोसेसिंग ग्रुप ने सोलर ड्रायर लगा दिए। सब्जियों, फलों को सुखाने का काम कई कंपनियां और कर रही है पर वो इसको इलेक्ट्रिक मशीनों से करती हैं जिससे उनके पोषक तत्व ख़त्म हो जाते हैं। रहेजा ने इसीलिए सोलर वाला विकल्प चुना इससे न सिर्फ पोषक तत्व बचे रहेंगे बल्कि प्राकृतिक ऊर्जा का भी भरपूर इस्तेमाल हो रहा। एक तरह से इस स्टार्टअप ने प्रकृति को सहेजने का काम भी किया है।

रहेजा के मुताबिक हर साल किसान जो फल, सब्जी और मसाले फेंक देते थे उससे करीब 90 हजार करोड़ का नुकसान होता था। सोलर ड्रायर की मदद से अब इन्हें सहेजा जा सकेगा। उनका कहना है हमारा मिशन है छोटे किसानों को सशक्त बनाना ताकि वे पारम्परिक खेती पद्धति अपनाकर अपना मुनाफा और बढ़ा सकें।
शार्क्स से डील – 1.75 करोड़ रूपए
किसान फ्रेंडली – प्रतिवर्ष करीब 90 हजार करोड़ की सब्जी, फल किसान फेंकने को रहते हैं मजबूर। इस स्टार्टअप ने इस नुकसान को कम करने का किया काम।
पर्यावरण फ्रेंडली – इंदौर के इस स्टार्टअप ने सोलर एनर्जी का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण के साथ, सेहत के लिए भी बड़ा काम किया।