बस्तरिया युवा के बनाए सॉफ्टवेयर से कम होगी अंतरिक्ष मिशन की लागत, हैरान हुए स्पेस साइंटिस्ट

जगदलपुर. बस्तर के 25 साल के युवा साद मेनन ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। साद ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो न केवल अंतरिक्ष मिशन की लागत को कम करेगा, बल्कि अंतरिक्ष में कम्प्यूटिंग सिस्टम को रेडिएशन के खतरों से भी बचाएगा। उनके इस प्रोजेक्ट ने यूरोप में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) प्रयोग डिजाइन प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया है। यह भारत के साथ ही बस्तर के लिए गर्व का मौका है।

ऐसा है प्रोजोक्ट

साद का यह प्रोजेक्ट एक विकिरण-सहनशील लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित है, जिसे विशेष सॉफ्टवेयर तकनीकों से मजबूत किया गया है। यह तकनीक अंतरिक्ष में रेडिएशन से होने वाली सिस्टम विफलताओं को रोकने में सक्षम है। इस नवाचार को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने सबसे बेहतरीन करार दिया है। साद ने बताया कि इस तकनीक से अंतरिक्ष मिशन्स की लागत में भारी कमी आएगी और उनकी विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

चार जजों के पैनल ने चुना साद का डिजाइन13 मार्च 2025 को साद को सूचना मिली कि उन्होंने यूरोप की प्रतिष्ठित आईएसएस प्रयोग डिजाइन प्रतियोगिता जीत ली है। यह प्रतियोगिता यूरोपीय विश्वविद्यालयों के सहयोग से आयोजित की गई थी, जिसमें शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए प्रयोग डिजाइन करने की चुनौती दी गई थी। साद के प्रोजेक्ट को चार अंतरराष्ट्रीय जजों के पैनल ने वैज्ञानिक और तकनीकी योग्यता के आधार पर सर्वश्रेष्ठ चुना।

यूरोप के ईएसटीईसी से मिलेगा विशेष सम्मान

इस उपलब्धि के लिए साद को 15 से 17 अप्रैल तक नीदरलैंड स्थित यूरोपीय अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी केंद्र (ईएसटीईसी) में आमंत्रित किया गया है। इस दौरे के दौरान साद अपने प्रोजेक्ट को वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के सामने प्रस्तुत करेंगे और इसे सैटेलाइट के रूप में लॉन्च करने की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।

नासा से मिली सराहना, इसरो में काम करने की चाहत

साद ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ भविष्य में काम करने की योजना बनाई है। साद के इस काम की नवीनता और महत्व को देखते हुए नासा के इंजीनियरों ने भी उनकी निजी तौर पर प्रशंसा की है। इस प्रोजेक्ट में उनके साथ रफाल ग्राजकि, टोमाज़ राजकोव्स्की, जान स्वकोन, डेमियन व्रोबेल, सेबेस्टियन कुसिक, माइक पापदाकिस शामिल थे।

यूरोप की नंबर 1 यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई

बस्तर से हायर सेकंडरी तक की पढ़ाई के बाद साद पुणे के डीवाई पाटिल कॉलेज से इंजीनियरिंग की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विषयों पर 700 से ज्यादा प्रोजेक्ट तैयार किए। एआई में उनके कई पेटेंट हैं। हाल ही में साद ने यूके की सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी से सॉफ्टवेयर सिस्टम में डबल एमएससी की डिग्री ली। यह विश्वविद्यालय हाल ही में यूके में नंबर 1 स्थान पर रहा है, जो ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज को भी पीछे छोड़ चुका है। उनकी पढ़ाई पूरी तरह से छात्रवृत्ति पर आधारित थी।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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