वर्ल्ड पिकनिक डे: भिलाई दुर्ग से कुछ ही दूरी में है कई खूबसूरत पिकनिक स्पॉट, कम खर्चे में फुल इंजॉय
आधुनिक भागदौड़ भरी जीवन शैली में सुकून की तलाश में पिकनिक का चलन बढ़ा है। फैमिली और दोस्तों के साथ पिकनिक का अपना ही अलग मजा है, लेकिन आपाधापी और कामकाज को लेकर व्यस्तता के चलते समय का अभाव और परफेक्ट डेस्टीनेशन को लेकर समस्या रहती है। यदि आप दुर्ग-भिलाई या जिले में कहीं भी रहते है और फैमिली और दोस्तों के साथ कम समय में बेहतर पिकनिक स्पॉट का आनंद लेना चाहते हैं तो कई ऐसे स्पॉट हैं, जहां बमुश्किल आधे से एक दिन आकर्षक और सुरय प्राकृतिक वातावरण में बिताया जा सकता हैं। इन स्थलों पर पहुंचना भी आसान है।
बर्ड सफारी गिधवा-परसदा
प क्षी प्रेमियों के लिए बेमेतरा के गिधवा और परसदा बर्ड सफारी आकर्षण का केंद्र है। गिधवा में 100 एकड़ और परसदा में 125 एकड़ में जलभराव वाला जलाशय है। यहां हर साल हजारों किलोमीटर सफर कर करीब 100 प्रवासी पक्षी आते हैं। पाटन के बेलौदी में भी 35 प्रकार की प्रवासी पक्षियां आती हैं। इसके अलावा सांतरा, अचानकपुर का वेटलैंड भी है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है
बेमेतरा का गिधवा परसदा बर्ड सफारी मुंगेली के पास है। दुर्ग से इसकी दूरी करीब 120 किलोमीटर है। पाटन का बेलौदी दुर्ग से सिर्फ 25 किमी है, लेकिन यह केवल ठंड के दिनों के लिए बेहतर है।
नेचर केयर सेंटर मनगटा
जिले की सीमा से लगा राजनांदगांव जिले का मानव निर्मित जंगल है। यहां चीतल, जंगली सुअर, मोर, लकड़बग्घा, खरगोश, जंगली बिल्ली व दूसरे छोटे जंगली जानवर है। यहां जंगल सफारी की व्यवस्था के साथ नेचर ट्रेकिंग पार्क भी है। रिसार्ट व खाने-पीने और ठहरने की अच्छी सुविधाएं हैं। यह स्थल सभी एज ग्रुप के लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। इसके अलावा नया रायपुर स्थित जंगल सफारी, भिलाई का मैत्री गार्डन भी अच्छा विकल्प है।
मनगटा नेचर केयर सेंटर में सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। दुर्ग से रसमड़ा होकर अथवा दुर्ग से सोमनी होकर जाया जा सकता है। दोनों मार्ग से इसकी दूरी 25 से 30 किमी है।
आनंदधाम
आ नंदधाम आश्रम और मंदिर, शिवनाथ, आमनरे और हाफ नदी का त्रिवेणी संगम, आकर्षक पर्यटन स्थल, शांत व आकर्षक वातावरण। माघी पूर्णिमा (छेरछेरा पुन्नी) पर मेला लगता है।
कैसे पहुंचे
दुर्ग संभाग मुयालय से 24 किलोमीटर दूर, दुर्ग-धमधा मार्ग पर कोडिय़ा गांव के पास से सगनी गांव जाने का रास्ता। सगनी गांव से करीब 1 किमी पर आनंदधाम आश्रम और मंदिर।
बलेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़
दुर्ग-भिलाई से थोड़ी दूर लेकिन महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थिति देवी माता की मान्यता शक्तिपीठ की तरह है। यहां नवरात्रि के अलावा बारहों महीने श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। धार्मिक स्थलों में बालोद का गंगा मैया मंदिर, दुर्ग में चंडी मंदिर, मोहलाई का छातागढ़ मंदिर, नगपुरा का पार्श्वतीर्थ मंदिर और देव बलौदा का प्राचीन शिव मंदिर भी बेहतर विकल्प है। इनमें से कई स्थल पर एक ही दिन में जाया जा सकता है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है
दुर्ग से डोंगरगढ़ 68 किलोमीटर है। यहां सड़क व रेलमार्ग दोनों से ही पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी पर मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियों के अलावा रोप वे की भी व्यवस्था है।
वाटर फॉल के साथ देव दर्शन
वा टर फॉल यानी प्राकृतिक झरने के साथ देवदर्शन का भी आनंद लेना है तो बालोद जिले का सियादेवी बेस्ट लोकेशन है। यहां सिया यानी माता सीता का मंदिर है। यह स्थल बेहद सुरय है। माना जाता है कि वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण और सीताजी यहां ठहरे थे। महाराष्ट्र सीमा पर सालेकसा की पहाड़ी पर वाटर फॉल महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है
दुर्ग से सियादेवी की दूरी 80 किलोमीटर है। इसी मार्ग पर दुर्ग से 60 किमी पर गंगा मैया मंदिर भी है। सालेकसा वाटर फॉल और सियादेवी सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
चतुर्भुजी मंदिर
चतुर्भुजी विष्णु मंदिर, प्राचीन प्रमुख धार्मिक स्थल, मंदिर शिवनाथ नदी के किनारे बना है, शिवनाथ नदी का आकर्षक किनारा, कार्तिक पूर्णिमा एवं माघ पूर्णिमा के समय यहां मेला लगता है।
कैसे पहुंचे
दुर्ग से 34 किलोमीटर दूर, दुर्ग धमधा मार्ग पर शिवनाथ ब्रिज को क्रॉस करने के बाद तितुरघाट गांव जाने का रास्ता। परिवार के साथ मंदिर दर्शन के साथ शांत व सुकून भरा समय बिताने लायक प्रमुख स्थल।