सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में न प्राचार्य हैं न ही उपप्राचार्य, 53 पद प्रोफेसर के भी हैं खाली

रायपुर. प्रदेश में 8 सरकारी नर्सिंग कॉलेज है। इसमें भी फैकल्टी की भारी कमी है। वहां न प्राचार्य है और न ही उप प्राचार्य। यही नहीं प्रोफेसर के 56 में 53 पद भी खाली है। एसोसिएट प्रोफेसर के 56 में 19 व असिस्टेंट प्रोफेसर के 72 में 53 पद अब तक नहीं भरे गए हैं। कुल स्वीकृत 336 पदों में 156 पद खाली है। मार्च में पेश बजट में प्रदेश में 5 नए नर्सिंग कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है। वहां प्रत्येक कॉलेजों में 40 के हिसाब से 200 पद भरे जाएंगे। सवाल उठता है कि इसके लिए जरूरी स्टाफ कहां से लाएंगे?

प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के मापदंडों के अनुसार फैकल्टी नहीं है। इससे कॉलेजों में टीचिंग प्रभावित हो रही है। कई बार परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन समय पर नहीं हो पाता। कम परीक्षक होने के कारण रिजल्ट में देरी होती रही है। अब प्राइवेट कॉलेजों की फैकल्टी को भी परीक्षक बनाया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि सरकारी कॉलेज होने के कारण आईएनसी के मापदंडों के अनुसार फैकल्टी न होने के बाद भी हर साल मान्यता मिल रही है। शासन ने नियमित भर्ती के लिए प्रयास नहीं किया है। संविदा में यदा-कदा भर्ती की जाती है।

4 फैकल्टी की जाति फर्जी, फिर भी कार्रवाई नहीं

सरकारी नर्सिंग कॉलेज रायपुर में 4 फैकल्टी फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रही हैं। जांच में इनमें दो की जाति सही पाई गई हैं। वहीं, दो फैकल्टी का जाति प्रमाणपत्र का मामला उच्च स्तरीय छानबीन कमेटी के पास विचाराधीन है। स्वास्थ्य विभाग में विशेष सचिव रह चुकीं डॉ. प्रियंका शुक्ला ने जांच रिपोर्ट में लिखा था कि एक फैकल्टी को बार-बार मौका दिए जाने के बावजूद उच्च स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष अपनी जाति सत्यापित करवाकर प्रस्तुत नहीं कर सकीं। इससे उनके प्रमाणपत्र सवालों के घेरे में है। कॉलेज में एक महिला सहायक प्राध्यापक व डेमोंस्ट्रेटर की जाति उच्च स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष विचाराधीन है।

ओबीसी होने के बावजूद एसटी वर्ग से पदोन्नति

एक एसोसिएट प्रोफेसर की जाति उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने ओबीसी पाया था, लेकिन इस महिला फैकल्टी को एसटी के आधार पर प्रमोशन दिया गया था। इस मामले की जांच की गई थी और विशेष सचिव ने कार्रवाई की अनुशंसा की थी। इसके बाद उनकी रिव्यू डीपीसी की कार्रवाई की जा रही है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि एक अन्य फैकल्टी की जाति प्रमाणपत्र फर्जी होने की शिकायत की गई थी, लेकिन वह अनुसूचित जाति की निकली। यानी यह शिकायत सही नहीं थी। सभी का प्रमोशन भी गलत तरीके से होने का मामला सामने आया है। इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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