नारी शक्ति: अपना सपना पूरा करने की जिद थी, बन गईं एडवेंचर वुमन
सरिता दुबे. एडवेंचर स्पोर्ट्स में जाने के लिए रॉक क्लाइम्बिंग का बेसिक कोर्स करना पड़ता है। जांजगीर-चापा जिले के अकलतरा की रहने वाली 32 साल की क्षमा सिंह राजपूत ने भी यह कोर्स किया लेकिन किसी मेडल को जीतने के लिए नहीं, बल्कि अपने शौक को पूरा करने के लिए। अकलतरा में महिलाओं को एडवेंचर स्पोर्ट्स में जाने को तवज्जो नहीं दी जाती। क्षमा के साथ भी यही हालात थे। इस कारण उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के बाद इस शौक को पूरा किया।
क्षमा कहती हैं कि उन्हें बचपन से ही प्रकृति से लगाव रहा और इसी के चलते उन्होंने एडवेंचर स्पोर्ट्स पर जाने का मन बनाया। पहली बार जब ट्रैकिंग पर गईं तो घरवालों को नहीं बताया, क्योंकि घरवाले जाने की परमिशन ही नहीं देते, लेकिन अब बच्चों को ट्रैकिंग पर ले जाती हैं।
साल 2017 में क्षमा ट्रैकिंग से जुड़ीं और राजस्थान के माउंट आबू में जाकर रॉक क्लाइम्बिंग की ट्रेनिंग ली। उसके बाद वह अकेले ही मनाली, दार्जलिंग और अरूणाचल प्रदेश में ट्रैकिंग के लिए निकल गईं। अब परिवारजन भी साथ देते हैं। क्षमा बच्चों को लेकर कैम्प पर जाती हैं। इसके अलावा वह फार्मेसी भी चलाती हैं। अपने शौक को पूरा करने के लिए साल में एक बार एडवेंचर जर्नी पर निकल जाती हैं।
सोच यह: कठिनाइयां रोक नहीं सकतीं, अगर इरादा मजबूत हो।
जीवन को सही दिशा मिल जाती है क्षमा कहती हैं कि लडकियों को अपने सपनों को पूरा करना चाहिए, क्योंकि सपनों को जीने व हॉबीज को पूरा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। सही समय पर मार्गदर्शन मिल जाए तो जीवन को सही दिशा मिल जाती है।
व्यक्तित्व को बदलते साहसिक खेल
क्षमा का कहना है कि एडवेंचर स्पोर्ट्स व्यक्तित्व को बदलते हैं। जीवन का सही नजरिया देते हैं। जीवन में एक बार इस तरह के अनुभव भी करने चाहिए। खेल अनुशासन सिखाता है और इससे ही जीवन में सफलता मिलती है।