She News: गांवों में फैले शिक्षा का उजियारा, इसलिए टीचर्स को दे रहीं स्मार्ट ट्रेनिंग

बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में भी सुधार लाया जा सके, इसके लिए शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के प्रयास कर रही हैं अलवर की आरुषि मित्तल। वह सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रही हैं। इसमें शिक्षकों को दो साल की ट्रेनिंग दी जाती है। साथ ही वह स्कूलों में टेक्नोलॉजी को बेहतर करने के लिए डिजिटल डिवाइस की व्यवस्था भी करती हैं।
उन्होंने विभिन्न जिलों में स्कूलों व कॉलेजों के करीब 2700 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है। 36 वर्षीय आरुषि कहती हैं कि 2010 मेें उन्होंने समाज सेवा व विकास के क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं के साथ काम करते हुए स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी महसूस की। इसी कारण उन्होंने 2020 में एक संस्था स्थापित कर काम शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा में सुधार करना और टीचर्स ट्रेनिंग को नई दिशा देना है। उनका प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों का बच्चों के साथ व्यवहार, कम्युनिकेशन स्किल्स और ग्रुप डिस्कशन पर भी ध्यान केंद्रित करता है। साथ ही आरुषि बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए एक्सपोजर विजिट्स और एक्सपर्ट स्पीकर्स के साथ डिबेट या फिर सवाल-जवाब के कार्यक्रम भी आयोजित करवाती हैं।
महिला सुरक्षा के लिए भी ऐप
आरुषि ने महिला सुरक्षा और लैंगिक भेदभाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए देशभर के 7 राज्यों में 2000 से अधिक युवाओं के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता शिविर आयोजित किए। इसके साथ उन्होंने पुलिस के सहयोग से ‘पुकार’ नामक मोबाइल ऐप विकसित किया, जो महिलाओं को आपातकालीन स्थिति में पुलिस से तुरंत संपर्क करने का एक आसान और सुरक्षित तरीका प्रदान करता है।
इस ऐप से महिलाएं दुर्घटना या किसी भी आपातकालीन स्थिति में अपनी जानकारी पुलिस तक पहुंचा सकती हैं। उनकी इस महत्त्वपूर्ण पहल के लिए उन्हें 2015-16 में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार और 2020 में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से इंटेलेक्चुुअल कम्युनिकेशन अवॉर्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।