Health Alert: बीजू स्वास्थ्य योजना में हो रहा तत्काल भुगतान तो आयुष्मान में क्यों नहीं?
ओडिशा सरकार की बीजू स्वास्थ्य योजना में मरीजों के इलाज का तत्काल भुगतान हो रहा है। जबकि आयुष्मान भारत शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य योजना में लंबे समय से भुगतान नहीं होने से सरकारी के साथ निजी अस्पतालों की कमर टूट रही है। ओडिशा की इस योजना का प्रदेश के निजी अस्पतालों में अच्छा खासा दखल है। राजधानी के 90 फीसदी निजी अस्पतालों में बीजू स्वास्थ्य योजना से मरीजों का इलाज हो रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर भी इस योजना को लागू करने की मांग कर चुके हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दूसरे राज्य की योजना को यहां लागू करना इतना आसान नहीं है।
बीजू स्वास्थ्य योजना में बीमारियों का पैकेज आयुष्मान भारत से काफी अच्छा है। बिना कारण अस्पतालों का क्लेम भी रिजेक्ट नहीं किया जाता। इसलिए राजधानी, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई समेत प्रदेश के 90 फीसदी निजी अस्पतालों में इस योजना से ओडिशा मूल के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। हर साल ओडिशा के 5 से 6 लाख से ज्यादा मरीजों का यहां इलाज किया जा रहा है। इसमें न केवल पड़ोसी जिले, बल्कि ओडिशा के दूरदराज के मरीज भी यहां इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
राजधानी में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते मरीज यहां खींचे चले आ रहे हैं। अस्पतालों के गेट पर योजना का पोस्टर भी लगाया गया है, जिससे मरीजों को पता चल सके कि उक्त योजना से यहां इलाज किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से लगे खरियार रोड, नुआपाड़ा, संबलपुर से काफी संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं। प्रदेश में आयुष्मान भारत शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजना में एपीएल परिवार को हर साल 50 हजार व बीपीएल परिवार का 5 लाख रुपए तक फ्री इलाज हो रहा है।
बीमारी आयुष्मान बीजू अंतर रु. में
एंजियोप्लास्टी 75000-87500 1.5 लाख 62500
किडनी ट्रांसप्लांट 3-3.25 लाख 5 लाख 1.75 लाख
नी रिप्लेसमेंट बंद 1.75 लाख 1.75 लाख
आईसीयू 8000 12 हजार 4 हजार
मोतियाबिंद बंद 12 हजार 12 हजार
आयुष्मान भारत के तहत कई बीमारियों के क्लेम को जबरिया रिजेक्ट किया जा रहा है। इससे अस्पतालों का नुकसान हो रहा है। लंबे समय से भुगतान नहीं होने से अस्पताल चलाने में परेशानी हो रही है।
-डॉ. विनोद तिवारी, प्रदेशाध्यक्ष, आईएमए
सरकारी व निजी अस्पतालों का आयुष्मान भारत के तहत 1400 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। सितंबर के बाद अस्पतालों को फूटी कौड़ी नहीं मिली है। इस कारण कुछ अस्पताल फ्री इलाज से आनाकानी भी करने लगे हैं। हालांकि किसी मरीज को लौटाने की बारी अभी नहीं आई है, लेकिन लंबे समय तक भुगतान न हुआ तो ऐसी नौबत आ सकती है। आंबेडकर, डीकेएस, जिला अस्पताल, एम्स में भी फ्री इलाज की अच्छी खासी रकम अटकी है। ऐसे में भी उन्हें वेंडर से लेकर अन्य भुगतान में दिक्कत हो रही है। यही नहीं डॉक्टरों को भी लंबे समय से इंसेंटिव नहीं मिलने से उनमें नाराजगी है। ये योजना प्रदेश के 800 से ज्यादा सरकारी व निजी अस्पतालों में चल रही है। बीजू स्वास्थ्य योजना केवल निजी अस्पताल चला रहे हैं, क्योंकि सरकारी अस्पतालों के पास आयुष्मान भारत योजना चलाने की मजबूरी है। ऐसे में आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों की मांग पर भी शासन ने इसे अनसुना कर दिया।