फास्टैग पर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन जरूरी, 3-5 साल पुराने सभी केवाईसी होंगे अपडेट
नई दिल्ली. देश में फास्टैग से जुड़ी सेवाओं के लिए नया नियम एक अगस्त से लागू होने जा रहा। इसके तहत अब वाहन लेने के बाद 90 दिन के अंदर फास्टैग नंबर पर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर अपलोड करना होगा। अगर निर्धारित समय में नंबर अपडेट नहीं किया तो उसे हॉटलिस्ट में डाल दिया जाएगा। उसके बाद 30 दिन का अतिरिक्त समय मिलेगा, लेकिन उसमें भी वाहन नंबर अपडेट नहीं हुआ तो फास्टैग ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। फास्टैग सेवा प्रदाता कंपनियों को 31 अक्टूबर तक 3 और 5 साल पुराने सभी फास्टैग की केवाईसी करनी होगी।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनसीपीआई) ने जून में फास्टैग को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें फास्टैग सेवा प्रदाता कंपनियों के केवाईसी की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए एक अगस्त की तिथि निर्धारित की गई। अब कंपनियों के पास सभी शर्तों को पूरा करने के लिए एक अगस्त से 31 अक्टूबर तक का समय है।
इन लोगों की बढ़ेगी परेशानी: एनसीपीआई के नए नियमों से उन सभी लोगों के लिए परेशानी बढ जाएगी जो नया वाहन खरीदने जा रहे हैं या फिर जिनका फास्टैग 3 साल से अधिक पुराना है। फास्टैग इस्तेमाल करने वाले मौजूदा ग्राहकों को भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि फास्टैग ब्लैक लिस्ट किए जाने संबंधी नियम भी एक अगस्त से प्रभावी होगा।
3 माह तक लेन-देन नहीं तो फास्टैग बंद
कुछ फास्टैग कंपनियों ने यह नियम भी जोड़ दिया है कि फास्टैग सक्रिय रहना चाहिए। इसके लिए तीन महीने के अंदर एक लेन-देन होना जरूरी है। अगर लेन-देन नहीं होता है तो फास्टैग निष्क्रिय हो जाएगा, जिसे एक्टिव कराने के लिए पोर्टल पर जाना होगा। यह नियम उन लोगों के लिए परेशानी खड़ी करने वाला है जो अपने वाहन का इस्तेमाल सिर्फ सीमित दूरी के लिए करते हैं, जिसमें कोई टोल नहीं कटता है।
कल से प्रभावी होंगे ये नियम
कंपनियों को 5 वर्ष पुराने फास्टैग को प्राथमिकता के आधार पर बदलना होगा।
3 वर्ष पुराने फास्टैग की पुन: केवाईसी करनी होगी।
फास्टैग से वाहन पंजीकरण नंबर, चेसिस नंबर जुड़ा होना चाहिए।
नया वाहन लेने के बाद 90 दिन के अंदर उसका नंबर अपडेट करना होगा।
फास्टैग सेवा प्रदाता कंपनियों की और से वाहन डाटाबेस को सत्यापित किया जाएगा।
केवाईसी करते वक्त वाहन की सामने की और साइड की साफ फोटो अपलोड करनी होगी।
फास्टैग मोबाइल नंबर से लिंक होना अनिवार्य होगा।
केवाईसी सत्यापन के लिए ऐप या पोर्टल जैसी सेवा उपलब्ध करानी होगी।