औरतों को आगे लाने में हम बांग्लादेश, पाकिस्तान से भी पीछे
देश के 18 राज्य ऐसे हैं जहां आज तक कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं बनी हैं
नारी सशक्तिकरण का मुद्दा लेकर चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने तीनों राज्यों में नहीं बनाया महिला सीएम
सरिता दुबे ,वरिष्ठ पत्रकार
देश के 18 राज्य ऐसे हैं जहां आज तक कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं बनी हैं। आजादी से अब तक हमारे देश में सिर्फ 16 महिलाएं ही मुख्यमंत्री बनी है। स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री थी वो 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रही है। शीला दीक्षित दिल्ली, जय ललिता तमिलनाडु और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रही हैं। सिर्फ दिल्ली और उत्तर प्रदेश ही ऐसे राज्य है जहां अब तक दो बार महिलाएं मुख्यमंत्री रही है। जानकी रामचंद्र 23 दिन तक मुख्यमंत्री रही थी जानकी 7 जनवरी 1988 से 30 जनवरी 1988 तक ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थी। उनके पास सबसे छोटा कार्यकाल सुषमा स्वराज का है जो 12 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक 52 दिनों के लिए दिल्ली की सीएम थी । राजनीति में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में भारत अपने पड़ोसियों पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है।
तीन राज्य, आदिवासी, ओबीसी और सवर्ण मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की
जातीय समीकरण को साधने के लिए ही भाजपा ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी, मध्यप्रदेश में यादव और राजस्थान में सवर्ण को मुख्यमंत्री बनाया। 33 फीसदी आरक्षण वाले महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने वाली भाजपा ने तीनों राज्यों में से अकेले राजस्थान में ही एक महिला विधायक दीया कुमारी को डिप्टी सीएम बनाया है, जबकि लिंगानुपात को देखे तो छत्तीसगढ़ में पुरूष और महिला की जनसंख्या में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है इस लिहाज से इस प्रदेश को एक महिला डिप्टी सीएम तो देना ही था। शायद यह भी एक नई परिपाटी होती।
तीन दिसंबर को चुनाव के नतीजे आने के बाद ही राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री के नाम की चर्चा हर एक व्यक्ति के जेहन में इस कदर घर कर गई थी हर कोई अपने अनुसार अनुमान लगा रहा था कि फलां व्यक्ति मुख्यमंत्री बन रहा है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता यह जानना चाहती थी कि आखिर हमारे प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इस संशय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने आश्चर्य की घोषणा में बदल दिया। छत्तीसगढ़ में सीएम का चेहरा नया तो नहीं था लेकिन मध्यप्रदेश और राजस्थान में नए चेहरे को मुख्यमंत्री पद देना सभी को आश्चर्य में डालने जैसा था।
मीडिया भी नहीं भाप पाया कि मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव और राजस्थान में भजन लाल शर्मा मुख्यमंत्री बन सकते है। साल 2019 में मोदी ने संसद में एक बात कहीं थी कि अखबारों की हेडिंग से कोई मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं बनता। भाजपा का हर कार्यकर्ता देश के लिए काम करता है और कभी भी किसी को भी उसके सामर्थ्य के अनुसार नए कार्य की जिम्मेदारी दी जा सकती है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में नए चेहरे को सीएम की जिम्मेदारी देना आज उनकी बात को सही साबित कर रहा है। छत्तीसगढ़ में सीएम का चेहरा भले ही नया है लेकिन छत्तीसगढ़ के नवनिर्वाचित सीएम विष्णुदेव साय दो बाद प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके है और तीन बार सांसद, दो बार विधायक रह चुके है, लेकिन राजस्थान और मध्यप्रदेश में तो सीएम का चेहरा एकदम नया है।
इधर राजस्थान में……….
भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के नाम का एलान कर दिया। भजन लाल शर्मा राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। इसके साथ ही दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के रूप में दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जाएंगे। नई सरकार का शपथ ग्रहण 15 दिसंबर को होगा। अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी राजस्थान विधानसभा के अगले अध्यक्ष होंगे। भाजपा ने इन नामों के साथ पूरे राजस्थान में जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है। ऐसे ही फैसले पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर किए गए।