सेहत बिगड़ने लगी तो नौकरी छोड़ बनी योग ट्रेनर
माइग्रेन, शुगर, थॉयराइड और बीपी के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों ने घेरा तो एनसी की जॉब छोड़कर जया दे रही सेहत का मंत्र
रायपुर। नेशनल कंपनियों में जॉब की लेकिन काम के प्रेशर से सेहत बिगड़ने लगी तो नौकरी छोड़नी पड़ी। माइग्रेन, शुगर, थॉयराइड और बीपी के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों ने घेर लिया।जीवन में सारा कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करता है। आप सोचते कुछ हैं लेकिन नियति कहीं और लेकर जाती है। ऐसा ही हुआ रायपुर की जया ज्योति नायडू के साथ। उन्होंने 16 साल तक अलग अलग मल्टी नेशनल कंपनी में काम किया। ऑस्टियोपोरोसिस के चलते 19 जगह फ्रैक्चर हुए। जया को कुछ सूझ नहीं रहा था। बहुत कोशिश की लेकिन सेहत में कोई बदलाव नजर नहीं आया तब उन्होंने योग शुरू किया। इससे वे कुछ समय बाद पूरी तरह ठीक हो गईं और अब इसे ही अपना लक्ष्य बना लिया और अब जया लोगों की सेहत संवार रही हैं।
जया ने बताया, मैंने साउंड हिलिंग में इंटरनेशनल कोर्स किया है। ब्रह्मांड की विद्युत तरंगों को सात अलग-अलग धातु से बॉडी के चक्रास को शांत करते हैं। वैसे तो शरीर में 114 चक्र हैं जिसमें सात ही महत्त्वपूर्ण हैं। यह तिब्बत की थैरेपी है। इसके लिए उपयोग में लाए जाने वाले बॉल्स व इक्विपमेंट हाथ से बने होते हैं। हर बॉल का अलग वाइब्रेशन होता है।
ससुर से मिली योग की प्रेरणा
मेरे ससुर का निधन 75 की उम्र में हुआ। उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। वे जगतगुरु कृपालु महाराज के अनुयायी थे और योग करना उनकी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा था। उन्हीं से प्रेरित होकर मैंने भी जीवन में योग को अपनाया, जिसका मुझे भरपूर फायदा मिला। योग ने शारीरिक व मानसिक तौर पर मजबूत किया।
प्राणायाम से खत्म हुई कैंसर की आशंका
इन सब दिक्कतों के बीच ब्रेस्ट में गठान हो गई थी। डॉक्टर ने कैंसर की आशंका जताई और दो दिन के भीतर कट बॉयोप्सी की सलाह दी। इसके लिए मुझे मुंबई जाना था लेकिन मैंने इसे प्राणायाम से ठीक कर लिया। प्राणायम से ऑक्सीजन का बेहतर प्रवाह हो जाता है। दूसरों के चेहरे की मुस्कान देती है सुकून एक समय था जब लगता था कि आगे क्या होगा। खुद रिकवर तो हो गई थी लेकिन हाथ में कोई काम नहीं था। इसलिए मैंने ऐसे लोगों के स्वास्थ्य के लिए काम करना शुरू किया जो गंभीर बीमारियों से घिरे हैं। चूंकि मैंने योग और हीलिंग साउंड से खुद को स्वस्थ किया था। उसी के जरिए पास पड़ोस की महिलाओं को बताना शुरू किया। जब उन्हें लाभ हुआ तो अन्य महिलाएं भी जुड़ने लगीं। अब मैं प्रॉपर एक सेंटर चला रही हूं। आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर भी हो गई हूं।