छत्तीसगढ़ में सर्वाइकल कैंसर का कौन सा स्ट्रेन, पता लगाएंगे डॉक्टर, एम्स में चल रहा शोध
देशभर में तेजी से बढ़ रहे सर्वाइकल कैंसर स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती साबित हो रहा है। आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स के कैंसर डिपार्टमेंट ने इस पर विशेष शोध शुरू किया है। इसमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में कौन सा स्ट्रेन है, इस पर खोज की जा रही है। ताकि यहां के मरीजों का सटीक इलाज हो सके। विश्व में मुख, गला व चेस्ट के बाद सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की संख्या इसी की है। छत्तीसगढ़ में सवा लाख से ज्यादा इसके मरीज हैं। जबकि आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स की बात करें तो यहां हर रोज 3 से 5 नए मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
प्रिवेंटेबल है बीमारी
डॉक्टरों के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें शारीरिक स्वच्छता पर ध्यान न देना, जल्दी विवाह, एक से अधिक सेक्स पार्टनर से रिलेशनशिप, नशाखोरी, प्राइवेट पार्ट में इन्फेक्शन, कमजोर इंम्युनिटी, फैमिली हिस्ट्री प्रमुख कारण हैं। यह बीमारी प्रिवेंटेबल है। यानी उक्त कारणों को ध्यान में रख सतर्कता बरतने से इससे बचा जा सकता है।
अभी दो स्ट्रेन को आधार मानकर इलाज
सिम्स के कैंसर डिपार्टमेंट की ओर से यूं तो विभिन्न प्रकार के कैंसर पर लगातार शोध हो रहे हैं, पर सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते खतरे को देखते हुए इस पर शोध जरूरी है, ताकि इसकी सटीक रोकथाम की जा सके। अभी तक के खोजों के आधार पर इस कैंसर का मुख्य कारक ह्यूमन पैपिलोमा वायरस है।जबकि हकीकत ये है कि क्षेत्रानुसार इसके अलग स्ट्रेन होते हैं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के मरीजों में मुख्य रूप से कौन सा कॉमन स्ट्रेन है, इसे लेकर शोध शुरू किया गया है।
-डॉ. चंद्रहास ध्रुव, एचओडी कैंसर डिपार्टमेंट सिम्स
सिम्स के कैंसर डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. चंद्रहास ध्रुव के अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग स्ट्रेन हो सकता है। वर्तमान में दो ही स्ट्रेन को आधार मानकर इलाज करने से सभी मरीजों पर यह कारगर नहीं हो सकता, लिहाजा क्षेत्रानुसार इस पर शोध जरूरी है। यही वजह है कि इस पर 6 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम गठित कर गहनता से शोध शुरू किया गया है। इसके लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले सर्वाइकल कैंसर मरीजों का ’पैप स्मियर टेस्ट’ के माध्यम से स्ट्रेन को परखा जा रहा है।
राज्य भर में सवा लाख से ज्यादा मरीज
- सिम्स में वर्तमान में करीब 400 कैंसर मरीजों का इलाज हो रहा
- इसमें 35 प्रतिशत मुंह व गला के कैंसर रोगी
- 20 प्रतिशत ब्रेस्ट के
- 15 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के मरीज
- बाकी ब्लड समेत अन्य कैंसर पीड़ित