नारी शक्ति: नृत्य और स्वास्थ्य का संदेश दे रहीं महिलाएं
महिलाएं परिवार के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश की धुरी होती हैं और जब वे किसी काम को एकजुटता के साथ करती हैं तो नतीजा भी सकारात्मक रूप में आता है। ऐसी ही कुछ महिलाओं की कहानियां है..
परम्परा और घराना नहीं छोड़ा
लखनऊ घराने का कथक और रायगढ़ की बंदिशों के साथ परफार्मेंस देने वाली रायपुर की स्वप्निल कर्महे यह मानती हैं कि, समय के साथ शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति और हाव-भाव भी बदले हैं, लेकिन कलाकर को अपनी परंपरा और घराने को बरकरार रखना चाहिए।
वे बताती हंै कि लखनऊ घराने के कथक शैली लावण्य और शृंगार प्रधान होती है। रायगढ़ घराने की बंदिशें प्रकृति प्रधान हैं और इन्हीं बंदिशों के साथ मैं नृत्य की प्रस्तुति देती हूं। परिवार में कोई नृत्य से जुड़ा भी नहीं था, लेकिन मैंने कथक में अपना एक मुकाम बनाया। कथक के इस नए स्वरूप को मैं 20 सालों से छात्राओं को भी सिखा रही हूं। मैंने गुरु पीडी आशीर्वादम् से कथक सीखा और इसी दौरान इंदिरा कला संगीत विवि से मास्टर्स और पीएचडी की उपाधि ली। मैं अभी डिग्री गल्र्स कॉलेज में पढ़ाती हूं।
किचन गार्डन से सहेज रहीं परम्परागत किस्म
राजधानी की मेनका भारतीदासन लोगों की खाने की थाली को पौष्टिक बनाने के लिए टैरेस गार्डनिंग, वर्टिकल गार्डनिंग, हाइड्रोपोनिक और माइक्रोविंग के कॉन्सेप्ट पर कार्य कर रही हंै। वे 10 बाय 10 के किचन गार्डन से लोगों के घर की सेहत संवार रही हैं ताकि लोगों की थाली केमिकलफ्री हो।
वे कहती हैं, हमें यह पता होना चाहिए कि हमारी थाली की सब्जी किस मिट्टी से बनी है। मैं साल 2009 से सिंपल इंडियन मॉम कार्यक्रम के जरिए महिलाओं को ऑनलाइन अवेयर कर रही हूं। उन्होंने बताया कि लोग सब्जियों की परंपरागत किस्मों को भूल गए हंै। मिसाल के तौर पर हम सिर्फ हरी भिंडी को ही जानते है लेकिन छत्तीसगढ़ में लाल भिंडी भी होती है। भिंडी की कई ट्रेडिशनल वैरायटीज भी मिलती है। सब्जियों की टे्रडिशनल वैरायटी की कमी के चलते हम बढ़ावा दे रहे है हैं।