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छत्तीसगढ़ के इस जिले में रहस्यमय तरीके गायब हो रहीं महिलाएं, 4 साल में 410 लापता, पुलिस भी हैरान

जिले में हर साल बड़ी संख्या में बालिकाएं और युवतियां लापता हो रही हैं। अधिकतर बालिका व युवती को ढूंढ निकाला जाता है या फिर खुद ही वापस घर लौट जाती है लेकिन 30 से 40 फीसदी लापता ही हैं। वर्ष 2020 से अब तक 410 महिलाएं, युवती और बालिकाएं अब भी लापता हैं।

कबीरधाम जिला का अधिकतर स्थान ग्रामीण क्षेत्र है। इसके चलते ग्रामीण व वनांचल क्षेत्र पिछड़ा हुआ है और शिक्षा दर भी बेहद कमजोर है। शिक्षा की कमी के कररण हर साल बड़ी संया में बालिका, युवती और महिलाएं लापता होती है।

कुछ ऐसे प्रकरण भी आए

साल दर जिले में लोगों के घर से भाग जाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। वर्ष 2020 में लापता का आकड़ा 333 था, जबकि वर्ष 2023 में यह आकड़ा 515 तक जा पहुंचा। सबसे बड़ी परेशानी और गंभीर बात है कि लापता होने में महिला वर्ग की संया अधिक है। इसे मानव तस्करी से नहीं जोड़ा जा सकता, लेकिन कुछ प्रकरण ऐसे भी आए जब प्रेमी अपनी प्रेमिका को बेच देते हैं। बालिकाओं को कोठा में बेचे जाने के भी प्रकरण सामने आ चुके हैं।

कहीं नक्सली तो नहीं गए

दूसरी ओर कबीरधाम माओवादी जिला में शामिल है इसलिए यह भी डर बना रहता है कि कहीं लापता लोग माओवादियों के संपर्क में न आ जाए। हर साल 300 से 500 के करीब लोग लापता होते हैं जिसमें से 70 फीसदी महिला वर्ग होती है। इसमें 15 से 19 वर्ष की बालिका और युवती की संया अधिक है। इसके बाद 20 से 24 वर्ष की युवती और महिलाएं लापता होती हैं।

इसमें से 70 प्रतिशत कुछ समय बाद स्वयं या फिर पुलिस व परिजन उन्हें ढूंढकर लाते हैं, लेकिन 30 प्रतिशत से अधिक बालिका और युवती हर साल लापता रहती हैं। इस पर जिले के कुछ थाना टीम बेहतर कार्य करते हुए गुम इंसानों मुय रुप से बालिकाओं ढूंढने में बेहतर कार्य करते हैं लेकिन अधिकतर थाना टीम इस मामले में बेहद कमजोर साबित हैं।

बालिकाएं अधिक लापता

बीते वर्ष 2024 में 30 जुलाई तक मतलब सात माह अंतर्गत जिले के विभिन्न थानों में 207 लोगों के गुमशुदगी के रिपोर्ट दर्ज कराए गए। इसमें 124 महिला वर्ग और 82 पुरुष शामिल हैं। इसमें से अब तक 62 को पुलिस या परिजनों से ढूंढ निकाला है या फिर वह स्वयं घर लौट आए। इसमें 36 महिला और 26 पुरुष हैं, जबकि 145 अब भी लापता है। इसमें 88 महिला वर्ग और 56 पुरुष हैं।

जागरुकता अभियान की कमी

ऐसे कई मामले देखने में आ रहे हैं कि बालिकाओं को प्रेम-प्रसंग में भाग जाती हैं। परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ढूंढती है। ढूंढे जाने पर अधिकतर मामलों में परिजनों के दबाव पर नाबालिग बालिका की ओर रिपोर्ट भी दर्ज कराया जाता है कि युवक द्वारा बलात्कार किया गया। इसके चलते युवक को गिरतार कर जेल भेजा जाता है। चूंकि लकड़ी नाबालिग होती है इसलिए उसकी रजामंदी को नहीं माना जाता। ऐसे में युवाओं को जागरुक करने की आवश्यकता है, जबकि इस दिशा में किसी तरह के जागरुकता कार्यक्रम नहीं चलाए जा रहे।

पांच वर्ष में 1952 महिला व पुरुष लापता

वर्ष 2020 से लापता लोगों की बात करें तो अब तक 1952 लोग लापता हुए। इसमें महिला वर्ग की संया 1264 रही। इसमें अब तक 854 अपने घर लौट चुकी हैं, लेकिन 410 बालिका, युवती और महिलाएं हैं जो अब तक अपने घर नहीं लौटी हैं जो बेहद गंभीर विषय है। वहीं 674 पुरुष वर्ग लापता हुए जिसमें 840 मिल गए लेकिन 204 अब भी लापता ही हैं। इस पर गंभीरता दिखाई जाए तो वह भी मिलेंगे।

मुय कारण जानें…

वैसे तो लापता होने के कारण कई कारण है। इसमें प्रमुख रूप से प्रेम प्रसंग, घरेलू विवाद, ससुराल में मारपीट व प्रताड़ना है। बालिका और युवतियों के लापता होने के प्रमुख कारण प्रेम-प्रसंग है। कम उम्र में ही वह गांव के ही, गुड़ फैक्ट्री, ईंट भट्ठा में काम के दौरान प्रेमी के साथ, ट्रक ड्राइवर या फिर बोरवेल में काम करने वालों के साथ अन्य शहर भाग जाते हैं। कई शादी कर लेते हैं जबकि कई वापस लौटे आते हैं या फिर पुलिस उन्हें ढूंढ निकालती है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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