World Sight Day: 20 हजार लोगों के जीवन को आई उजियारा भर चुकी है भावना जगवानी, जानें उनके बारे में
जब तक आंखें हैं तो उजियारा है, लेकिन जब खुद की आंखें गई तो पता चला कि अंधियारा क्या होता है। यह कहना हैं जयपुर की भावना जगवानी का। आई डोनेशन के माध्यम से लोगों के जीवन को रोशन कर रही भावना करीब 20 हजार लोगों के जीवन को उजियारा भर चुकी हैं। इसके लिए भावना ने 2002 में आई बैंक सोसायटी की स्थापना की। वह लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक भी करती हैं।
अंधकार से मिला जीवन का मकसद
वह कहती हैं कि तीसरी प्रेग्नेंसी के दौरान दवाइयों के रिएक्शन से अचानक मेरी आंखों की रोशनी चली गई। हालांकि चिकित्सकीय इलाज के बाद करीब एक माह के बाद मेरी आंखों की रोशनी वापस आ सकीं। आंखों की रोशनी पाकर मुुझे और मेरे परिवार को जो खुशी मिलीं, उस खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। लेकिन इस दौरान आंखों की रोशनी के बिना जो अंधेरा मैंने महसूस किया, उससे मेरी जिंदगी का मकसद ही बदल गया। तभी से मैंने इस पर काम करना शुरू किया। मुझे समझ आया कि आंखें दान करने की बहुत आवश्यकता हैं और उसके लिए सुविधाएं उपलब्ध करवानी जरूरी है। बस फिर क्या था, मैं इस काम में लग गई।
अंगदान के लिए भी करती हैं प्रेरित
पेशे से ज्लैवरी डिजाइनर भावना का कहना हैं कि लोग प्लास्टिक रिसाइकिल पर जोर दे रहें हैं, लेकिन इसी तरह अंगों को रिसाइकल किया जा सकता है। मृत्यु के बाद अंगों का दान करना अपने आप में महादान है। इस बात को समझते हुए उन्हाेंने 2013 में अंगदान के लिए कार्य करने का प्रण लिया। कुछ संस्थाओं के साथ मिलकर अंगदान के लिए संस्था स्थापित की। वह कहती हैं कि हम लोगों आई डोनेशन के साथ-साथ आर्गन डोनेशन के संबंध में भी समझाते हैं कि, किस तरह से वह अपने मृत्त परिजन के अंगों के माध्यम से दूसरों को एक नया जीवन दे सकते हैं।