बटन दबाते ही खुलता है महिलाओं के अधिकारों का पिटारा, पीडि़ता को मिलता है वकील
181 के जरिए अब महिलाओं को उनके अधिकार मिल रहे है, पीडि़त महिलाओं के केस चार दिन में कोर्ट में लग जाते है और पहली ही हियरिंग में महिला को मेंटनेंस और रहने की जगह भी मिल जाती है
रायपुर। छत्तीसगढ़ एकमात्र वो राज्य है जहां पर महिलाओं को क्रिमिनल, सिविल और वेलफेयर स्कीम से जोडऩे के लिए विश्व का बेहतरीन इंफरमेशन सिस्टम काम कर रहा है जिसमें एक बटन दबाते ही हर जिले में पीडि़ता के लिए वकील मिल जाते है। अमन सत्य काजरू ट्रस्ट का यह सिस्टम यूनिवर्सलाइजेशन ऑफ वुमन हेल्प लाइन नंबर १८१ के नाम से बीते 5 साल से छत्तीसगढ़ में काम कर रहा है। यह दीगर बात है कि इस सिस्टम से अभी वुमन वेलफेयर और चाइल्ड प्रोटेक्शन का वर्क नहीं जुड़ पाया है। बावजूद इसके यह सिस्टम प्रदेश में महिलाओं को अधिकार दिलाने में सफल साबित हो रहा है। अब यह सिस्टम महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है।
181 के जरिए अब महिलाओं को उनके अधिकार मिल रहे है, पीडि़त महिलाओं के केस चार दिन में कोर्ट में लग जाते है और पहली ही हियरिंग में महिला को मेंटनेंस और रहने की जगह भी मिल जाती है यह किसी भी प्रदेश में संभव नहीं है, क्योंकि यह सिस्टम तीन राज्यों असम, जम्मू और छत्तीसगढ़ में काम कर रहा है। यह सब संभव हुआ है यूनिवर्सलाइजेशन ऑफ वुमन हेल्प लाइन नंबर १८१ से। यह सिस्टम इंफरमेशन ट्रांसमिशन पर काम करता है। इन तीनों राज्यों में महिलाएं इस सिस्टम को चला रही है।
विश्व में ऐसा सिस्टम ही नहीं बना
अमन सत्य काजरू ट्रस्ट के फाउंडर प्रोफेसर काजरू ने बताया कि निर्भया केस के बाद भारत सरकार ने तीन चीजे की। पहली तो जस्टिस वर्मा कमिटी कि रिपोर्ट बनाई जिसमें घरेलू हिंसा के कानून को आसान बनाया, फिर फंड दिया उसके बाद सखी सेंटर(वन स्टाप सेंटर) बनाया ।
प्रो. काजरू कहते हैं कि यदि किसी महिला पर हमला हुआ तो वो अस्पताल जाएगी, कोई परेशान कर रहा है तो पुलिस थाने चली जाएगी यदि अगर वो वहां जाती है तो सखी का क्या महत्व है। अभी भी पूरे हिंदुस्तान में सखी सेंटर को पता ही नहीं चल पाता कि किसी महिला के साथ क्या हुआ है। पीडि़त महिलाओं के यह सारे मामले जोडऩे के लिए ही १८१ बना है।
सखी सेंटर को अपडेट करना बचा है
छत्तीसगढ़ प्रभारी रही मनीषा तिवारी कहती हैं कि यूनिवर्सलाइजेशन के तहत सखी अंडर यूटिलाइज है। पीडि़त महिला की डीआईआई बनाना, लीगल अथॉरिटी के जरिए पिटिशन लगाना, काउसिलिंग करना और महिलाओं के केस को एडमिनिस्ट्रेट करना सखी का काम है, लेकिन अभी इसके लिए सखी को अपग्रेड करना होगा। १८१ का कार्य तो महिलाओं के लिए कार्य कर रहे सिस्टम तक महिला के केस की सारी सूचना पहुंचाना है।
छत्तीसगढ़ के मॉडल को पूरे देश में लागू किया
साल 2014 में अमन सत्य काजरू ट्रस्ट ने ही पायलेट प्रोजेक्ट के तहत रायपुर में 181 और दुर्ग में सखी सेंटर की शुरुआत की और 6 माह बाद भारत सरकार ने पूरे हिदुस्तान में सखी सेंटर शुरू किए। वर्तमान लगभग 8 सौ सखी सेंटर काम कर रहे है। भारत का पहला इंटिग्रटेड सिस्टम बीते साल ही लीगल हेल्प लाइन 15100 से जुड़ गया। और अब पहली हियरिंग में रहने की सुविधा भरण पोषण(सेक्शन 23 ) के तहत मिलता है।
निर्भया गाइड लाइन के तहत 181 के चार विभागों से जुड़ा है
1 एक सखी के साथ डील करता है। पीडि़ता को रहने का ठिकाना, चिकित्सा, कानूनी सलाह, काउसिलिंग दिलाना।
2. स्टेट पीडि़ता की डीआईआई बनाना, कोर्ट में याचिका लगाना।
3.. स्टेट चाइल्ड सेंटर – यह सिस्टम से नहीं जुड़ा है इसे चाइल्ड प्रोटेक्शन सेंटर कहते है।
4. स्टेट वेलफेयर सेंटर- इसके तहत महिला शक्ति सेंटर्स को जोडऩा है जो पीडि़ता को वेलफेयर स्कीम का लाभ दिलाते है।