Advertisement Here

आज तक गांव से बाहर नहीं गई लेकिन कोदो चावल की खेती कर पूरे देश भर में बनाई अपनी पहचान

cg news गरियाबंद के छुरा ब्लॉक के कोठी गांव में आदिवासी लोगों की बसाहट है। इसी गांव की 5 वी पास सेवती ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खिया बटोरी, बहुत ज्यादा नहीं पढ़ी लेकिन खुद के साथ हो रहे अत्याचार, अपमान ने सेवती को इतना मजबूत बना दिया कि वो पहले थाने पहुंची फिर पंचायत और अंत में जिला पंचायत के सीईओं के पास जा पहुंची। विलुप्त होते कोदो चावल की खेती, एक एकड़ में महिलाओं के साथ शुरू कि इसकी मार्केंटिंग प्लान को समझाने के लिए वो पुणे तक गई। अब बड़े पैमाने पर कोदो की खेती महिलाओं के साथ मिलकर कर रही है।

थाने नहीं पहुंचती थी छेड़छाड़ की शिकायत

एक समय था जब सेवती को उसका पति बहुत मारता था, कई लोगों ने उस पर अत्याचार किए। डरीसहमी सी सेवती जब लोक आस्था सेवा संस्थान के दल में पहुंची तो उसने जाना कि एक महिला के क्या अधिकार होते है वो हर वो काम करने में सक्षम होती है। कुछ माह तक वो बराबर उनकी क्लास में आती रही। संस्थान की सचिव लता नेताम ने बताया कि एक लडक़ी के साथ छेड़छाड़ हुई तो वो थाने पहुंच गई, जिस थाने में आज तक किसे ने भी छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।

कोदो की खेती ने दिलाई राष्ट्रीय पहचान

सेवती ने जब जाना कि हमें खुद से आत्मनिर्भर होना पड़ेगा तभी हम हर मुसीबत का सामना कर सकते है। फिर उसने महिलाओं को एकजुट करना शुरू किया। वन अधिकार अधिनियम के तहत महिलाओं को मिली जमीन पर सेवती ने कोदो चावल की खेती करना शुरू किया और मार्केटिंग के नए आइडिया बनाए जो लोगों को पसंद आने लगे। इसे बताने के लिए एक सामाजिक संस्था के जरिए वो पुणे गई वहां उसे अपने ग्रुप के आइडिया के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

महिलाओं हो रही आत्मनिर्भर

महिलाएं कोदों की खेती तो कर ही रही है साथ ही राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत हल्दी मिर्ची धनिया को पीसकर बेच भी रही है। इसके अलावा सीताफल भी मार्केट में बेच रही है। अब सेवती का पति उसकी मदद करता है वो घर की। कोठी गांव की तस्वीर अब बदली-बदली नजर आती है।

————————————————

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
Back to top button