Woman Pride: दूसरे के भरोसे रहने से आप वही पाएंगी जो वह देना चाहेगा

बात 2022 की है। मेरे बड़े भाई की मृत्यु हो गई थी। इससे पिता को सदमा लगा और वे कोमा में चले गए। घर में कोई अन्य पुरुष न होने से मुझे खुद ही अंतिम संस्कार करना पड़ा। इसके बाद यह सिलसिला शुरू हुआ। बाद में मैंने इसके लिए एक संगठन भी बनाया। मैं पुलिस और स्थानीय अस्पतालों के संपर्क में रहती हूं। जब भी जरूरत पड़ती है मैं वहां होती हूं। मरने वाला शख्स मुस्लिम है, तो कब्रिस्तान, ईसाई है तो सिमेट्री हाउस में और हिंदू है तो श्मशान घाट में उसका अंतिम संस्कार करती हूं।

महिलाएं अपना दायरा बढ़ाएं मैं महिलाओं-लड़कियों से कहूंगी कि वे अपना दायरा बढ़ाएं। केवल दूसरों के भरोसे नहीं रहें। दूसरे के भरोसे रहने से आप वही पाएंगी, जितना सामने वाला देना चाहता है। जब आप पहल या प्रयास करेंगी तो आपको वह मिलेगा जो आप चाहती हैं। जिसके लिए आप असल में हकदार हैं।

मानसिकता में बदलाव लाना होगा

जब मैंने यह काम किया तो कोई सपोर्ट में नहीं था। सब कहते थे कि महिला है, ये कैसे करेगी। लेकिन मैंने शुरुआत की। आज आसपास के लोग तो कम सपोर्ट करते हैं पर सोशल मीडिया से बहुत सपोर्ट है, उससे काफी हौसला मिला है। इस तरह की बातों पर महिलाओं को पहले बात करने तक नहीं दिया जाता है। आज चर्चा शुरू हो गईहै। महिलाएं इसके बारे में जानने को इच्छुक हैं। जरूरत है महिलाएं अपनी मानसिकता में भी बदलाव लाएं।

अहम बात : शुरू में मुझे लोग चांडाल कहते थे। मेरी शादी इसलिए टूट गई कि उन लोगों को लगताथा कि मेरे पीछे भूत चलते होंगे। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। शादी तो नहीं हुई लेकिन अब दूसरे लोग सपोर्ट करते हैं। गलत नहीं बोलते हैं।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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