पहली बार मेयर का चुनाव दिलचस्प, चौबे, दुबे और तिवारी की तिकड़ी मैदान में..

राजधानी बनने के 25 सालों के सफर में इस बार रायपुर मेयर का चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है। ऐसा पहली बार है, जब ब्राह्मण समाज से तीन महिला शक्ति चुनावी समर में हैं। इनमें से तीनों की ब्राह्मण समाज में न तो पकड़ कम है न ही पहचान। परंतु सियासी तराजू पर जरूर तीनों की पहचान अलग-अलग है। भाजपा से मीनल चौबे तो कांग्रेस से दीप्ति दुबे चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी ने डॉ. शुभांगी तिवारी को मैदान में उतारकर रोचक बना दिया है।

रायपुर महापौर का पद महिला अनारक्षित वर्ग के लिए..

दस साल बाद रायपुर महापौर का पद महिला अनारक्षित वर्ग के लिए तय हुआ है। इससे पहले 2009-10 में महापौर का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित था। तब भाजपा से प्रभा दुबे तो कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग से डॉ. किरणमयी नायक को मैदान में उतारा था। इस मुकाबले में बाजी मारते हुए किरणमयी पांच साल महापौर रहीं। इसके बाद इस बार नगर के प्रथम नागरिक के रूप में मेयर की कुर्सी पर महिला नेत्री बैठेंगी। रोचक यह है कि भाजपा, कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी महापौर के लिए ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव खेला है।

राजनीति में भाग्य आजमा रही डॉक्टर बेटी

महापौर पद की तीनों नारी शक्तियां किसी से कम नहीं हैं। खूब पढ़ी-लिखी और संस्कारित हैं। कोटा रायपुर में रहने वाली चंद्रशेखर तिवारी के घर जन्मीं शुभांगी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर चार-पांच सालों से मरीजों का इलाज कर रही थीं। परंतु अब 29 वर्षीय डॉ. शुभांगी आम मतदाताओं की नब्ज टटोलने के लिए पहली बार चुनावी मैदान में हैं। उनके पिता चंद्रशेखर तिवारी और मां अंजू तिवारी कोटा वार्ड से पार्षद रह चुके हैं। इसलिए वह रायपुर की बेटी के रूप में राजनीति में किस्मत आजमा रही हैं। इनका मुकाबला ब्राह्मणपारा की बेटी-बहू से है।

ब्राह्मणपारा के होने लगी बेटी-बहू की चर्चा

महापौर के नाम का ऐलान होने के साथ ही ब्राह्मणपारा की बेटी और बहू के बीच मुकाबला होने की चर्चाएं भी शहर में होने लगी हैं। दो भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटी मीनल ब्राह्मणपारा में जन्मी और पली-बढीं। इसलिए वह ब्राह्मणपारा की बेटी हैं। साइंस कॉलेज में बीएससी में दाखिला ली तो छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहीं। फिर छगन चौबे संग विवाह के बाद चंगोराभाठा में शिट हो गई।

सहज, सरल और राजनीतिक जमीं पर तेज-तर्रार मीनल चौबे ने अपने राजनीतिक सफर में खुद की पहचान बनाने में कामयाब रहीं। वह तीन बार पार्षद और पांच सालों तक निगम में नेता प्रतिपक्ष की अहम भूमिका में रहीं। उन्हें भाजपा ने महापौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी दीप्ति दुबे ब्राह्मणपारा में बहू बनकर आईं। उनकी पहचान महापौर और सभापति प्रमोद दुबे की पत्नी की रूप में ज्यादा है। हालांकि कई वर्षों से राजनीति के साथ ही सामाजिक कार्यक्रम में ज्यादा सक्रिय रही हैं। यानीकि अब ब्राह्मणपारा की बेटी और बहू के बीच चुनावी मैदान में मुकाबला है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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