पूर्व मंत्री मूणत ने क्यों कहा कि भूपेश सरकार ने गरीबों के आवास का हक कॉलोनाइजर और बिल्डर्स को सौंप दिया
BJP NEWS : गरीब तबके के आवास के लिए कॉलोनाइजर को 15 प्रतिशत भूखंड छोड़ने होते थे। लेकिन भूपेश सरकार ने उस नियम में संशोधन कर सारे अधिकार कॉलोनाइजर और बिल्डर को सौंप दिए हैं। अब यह बिल्डर तय करेंगे कि गरीबों को कितनी कीमत पर मकान देना है।
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने भूपेश बघेल सरकार पर कॉलोनाइजरों और बिल्डरों से साठगांठ कर राज्य के गरीबों का आवास छीनने का षड्यंत्र करने का आरोप लगाया है। उन्होंने भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा शासन काल में गरीब तबके के आवास के लिए कॉलोनाइजर को 15 प्रतिशत भूखंड छोड़ने होते थे। लेकिन भूपेश बघेल सरकार ने उस नियम में संशोधन कर सारे अधिकार कॉलोनाइजर और बिल्डर को सौंप दिए हैं। अब यह बिल्डर तय करेंगे कि गरीबों को कितनी कीमत पर मकान देना है।
गरीब विरोधी भूपेश बघेल सरकार ने शहरी गरीबों के आवास की प्रधानमंत्री आवास योजना का स्वरूप ही बदल दिया और शहरी गरीबों को लूटने की तरकीब निकाली। अब गरीब हितग्राहियों से पूरे 4 लाख 75 हजार रुपए वसूल रहे हैं। जबकि इसमें 1 लाख 50 हजार रुपये केन्द्रांश, 2 लाख 50 हजार राज्यांश और हितग्राही से 75 हजार रुपये के अंश पर सहमति बनी थी। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार गरीब को 75 हजार में ही मकान देंगे। गरीब का हक उसे देंगे।
मूणत ने कहा कि भाजपा छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के विषय को हमेशा उठाती रही है। इस विषय को उठाने के साथ ही इसे अंजाम तक पहुंचाने का काम भी भाजपा ने किया है। शासन का ध्यान आकर्षण भी किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वयं अपनी योजना सर्वे कराकर आवास देने की बात कही थी लेकिन वह योजना असफल साबित हुई। अगर सरकार की नीयत ही साफ है, सरकार की सोच सही है तो गरीब परिवार को उनका हक मिले। उनको छत मिले।
मूणत ने कहा कि हमने आवास पर्यावरण मंत्री रहते हुए एक आदेश निकाला। गरीबों के लिए 15 प्रतिशत भूखंड आरक्षण की सुविधा इसलिए दी थी कि भविष्य में लैंड की कमी होने के बाद इसका उपयोग शासन अपने हिसाब से तय करे। सैकड़ों एकड़ जमीन शासन के पास है। इस पर केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी क्षेत्र में आई। प्रदेश सरकार ने एक सर्वे किया। सर्वे करने के बाद भी बस्ती की कहां-कहां कौन-कौन सी जगह है, किस-किस बिल्डर की जगह है, वहां पर बस बीएसयूपी के मकान बनाकर गरीब परिवार को देना होता है। अब इस सरकार ने वह कानून वापस ले लिया और राजपत्र में प्रकाशित भी कर दिया कि भविष्य में गरीब परिवार को बिल्डर को मकान देना है। यह एक चिंता का विषय है। गरीब परिवारों के लिए यह जमीन आरक्षित की गई थी। जिसे सरकार ने फ्री कर दिया। उन्होंने कहा कि कुमारी सैलजा जब केंद्रीय मंत्री थीं, इस योजना की तारीफ करके इसको राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने कहा था।
उन्होंने कहा कि सर्वे सूची के आधार पर जो पट्टी दे रहे हैं उसमें यह कहीं नहीं लिखा है और इसी वजह से यह सरकार गुमराह करने का काम कर रही है। गरीब परिवारों का मकान जो उनका हक है, उनको मिलना था उनका पैसा डकार रही है और कुछ लोगों कुछ उद्योगपतियों जिनकी 15 फीसदी जमीन आरक्षित रखना ही थी उसमें छूट देकर के अपने लोगों को लाभ पहुंचाने का जो काम कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी इसका विरोध करती है और यह स्पष्ट करती है कि जब भी हमारी सरकार बनेगी, गरीब परिवार को 75 हजार में मकान मिलेगा। जो नियमतः पट्टे हैं उसको स्थाई पट्टा मिलेगा।