Chaturmas 2024: चार महीने योगनिद्रा में रहेंगे श्री हरि विष्णु, शुभ कार्यों में रहेगी रोक, जानिए कौन संभालेगा पृथ्वी का भार
बुधवार को देवशयनी एकादशी का पर्व परंपरानुसार मनाया गया। घरों में हवन-पूजन के साथ ही कई धार्मिक आयोजन हुए। इसी के साथ ही आज से सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह के लिए निंद्रा में चले गए। चातुर्मास आरंभ हानेे के साथ ही विवाह सहित अन्य शुभ कार्यों पर ब्रेक लग गया है। 118 दिनों के बाद देवउठनी एकादशी को जब भगवान विष्णु निंद्रा से जागेंगे तब विवाह कार्य संपन्न हो पाएगा। इसके लिए अब लोगों को 4 माह का लंबा इंतजार करना होगा।
मठ मंदिर चौक स्थित श्रीसिद्धी विनायक गणेश मंदिर के पुजारी पंडित होमन प्रसाद शास्त्री ने बताया कि इस साल शुक्र-शनि की युति मिलने के बाद तिथि, वार, करणों के संयोग से 17 नवंबर से दोबारा विवाह लग्न शुरू हो जाएगा। 15 दिसंबर तक यह क्रम बना रहेगा। 29 दिनों में कुल 11 विवाह के लग्न मिलेंगे। इसमें विवाह संपन्न कराया जा सकता है। खरमास में ही शुभ कार्यों पर ब्रेक लगेगा। पंड़ितों की मानें तो इसके बाद सूर्य का धनु राशि में प्रवेश होगा। इसके बाद से खरमास शुरू हो जायेगा और फिर से मांगलिक कार्यों पर 15 जनवरी तक के लिए रोक लग जाएगा।
Chaturmas 2024: विद्ववत परिषद के मीडिया प्रभारी पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि 22 जुलाई को सावन के आरंभ होते ही सुबह 5.37 बजे से रात्रि 10.21 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। वहीं प्रीति योग जो 21 जुलाई को रात्रि 9.11पर शुरू होगा और 22 जुलाई को शामं 5.58 पर समाप्त होगा। तीसरा योग आयुष्मान योग है जो शाम 5.58 बजे से आरंभ होकर 23 जुलाई को दोपहर 2.36 पर समाप्त होगा। इस साल सावन माह में पांच सोमवार पड़ रहा है। पहला 22 जुलाई को, दूसरा सोमवार 29 जुलाई को, तीसरा 5 अगस्त को, चौथा 12 अगस्त को और पांचवां सोमवार का व्रत 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
इन कार्यों पर लगेगा ब्रेक
पंडितों ने बताया कि शास्त्र के अनुसार जब भगवान श्रीहरि विष्णु योग निंद्रा में होते है, तब शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित माना गया है। इसलिए इन दिनों में मुंडन संस्कार, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश सहित अन्य बड़े अनुष्ठान व मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह से ब्रेक लग जाएगा।
भगवान विष्णु दुनिया को संभालने का काम किसे सौपते हैं जानिए
भगवान विष्णु के चार माह के इस शयनकाल को बरसात का समय माना जाता है। इस दौरान पूरी दुनिया बाढ़ की समस्या से जूझ रही होती है। इस समय दुनिया में वार्षिक प्रलय आती है और दुनिया खुद को एक नए सिरे से तैयार कर रही होती है। साथ ही सूर्य इस दौरान दक्षिण की तरफ जाता है और कर्क राशि में प्रवेश करता है। कर्क राशि का चिह्न केकड़ा है। कहा जाता है कि केकड़ा सूर्य के प्रकाश को खा जाता है जिस कारण दिन छोटे होने लगते है।
ऐसा भी माना जाता है कि इस समय दुनिया में अंधकार छा जाता है। इस उथल-पुथल को संभालने में भगवान विष्णु इतना थक जाते हैं कि वह 4 महीने की निद्रा में चले चले जाते हैं। इस दौरान भगवान विष्णु दुनिया को संभालने का सारा काम अपने अलग- अलग अवतारों को सौंपकर जाते हैं।
भगवान विष्णु आषाढ़ मास की एकादशी से कार्तिक मास की एकादशी तक निद्रा में रहते हैं। इन चार महीनों के दौरान पृथ्वी की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। जितने दिन भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं, उतने दिन उनके अवतार सागर में संजीवनी बूटी तैयार करते हैं। ताकि धरती को फिर से उपजाऊ बनाया जा सके।